चिंतन करो, कृष्ण का।चिंतन करो, आत्मा का परमात्मा से मिलन का चिंतन करो अपने को कर्त्ता न मानने का ।सब कुछ पूर्ण श्रद्धा से कृष्ण पर छोड़ दो।कृष्ण नारायण है।जिनसे ब्रह्मा उत्पन्न हुए, और फिर ब्रह्मा से शिव उत्पन्न हुए।भगवान कृष्ण समस्त उत्तपत्तियो के स्त्रोत है।और वे सर्व कारण कहलाते हैं।वे स्वयं कहते हैं सारी वस्तुएं मुझ से उत्पन्न हैअतः मैं समस्त मूलो का कारण हूं।सारी वस्तुएं और ये सारा जगत मेरे आधीन है।कृष्ण से बढ़कर कोई परम् नियंता नही है शुद्ध भक्त निरन्तर भगवान की दिव्य प्रेमाभक्ति में लगे रहते हैं, उनके मन कृष्ण के चरण कमलों से हटते नही,उनके ह्रदय तथा आत्माएं निरंतर कृष्ण में निमग्न रहती है।भक्ति की प्रारंभिक अवस्था से भक्त दिव्य आनंद उठाते हैं, और धीरे धीरे ईश्वर प्रेम में रत हो जाते है।और भक्ति रूपी पौधा धीरे धीरे बढ़ता रहता है, और अंततः यह पौधा भगवान श्री कृष्ण के चरण कमलों की शरण पा लेता है।कीर्तन,श्रवण,मनन,पठन,आदि कार्य पौधे को सींचने रूपी कार्य होते हैं परम् सत्य,श्री कृष्ण केवल भक्ति से प्रसन्न होते हैं।भक्त के ह्रदय में कृष्ण सदैव रहते हैं।श्री कृष्ण की उपस्थिति सूर्य के समान है, जिसके द्वारा अज्ञान का अंधकार तुरन्त दूर हो जाता है।श्रीकृष्ण अपने भक्तों के सखा भी और गुरु भी हैं। वे प्रेमी और सखा बनकर गुर ज्ञान देते हैं।उन्होंने भक्ति मार्ग के माध्यम से अपने भक्तों को ज्ञान प्राप्त कराया। गोपियों से लेकर मीरा तक और सुदामा से लेकर सुरदास तक सभी को मोक्ष मिला।भगवान श्री कृष्ण से कोई भी संबंध दिल से जोड़ लो,फिर वे आपके अंतिम चरण तक इस संबंध को निभाएंगे।एक बार प्रीति करके देखो मेरे कान्हा से।आज मैं आपसे अपना अनुभव साझा कर रहा हूं।अभी सर्दियों में मेरे मन में कुछ कम्बल असहाय बुजुर्गो को बांटने का विचार आया। मै जब कम्बल ले कर आ रहा था तो मन में सोचा सबसे पहले एक कंबल ठाकुर जी के मंदिर में दूंगा।अभी रास्ते में बहुत से ठेले पर समान लेकर मजदूर जा रहे थे।उनमें से अचानक एक बुजुर्ग मजदूर भागा भागा मेरे पास आया और बोला आप यह कम्बल बांटने को ले जा रहे हो,मेने हां कहा तो वह बोला मुझे बहुत जरूरत है इसकी, एक मुझे दे दो, मैने मंदिर में देने के विचार को टाल पहला कम्बल उसे दे दिया।आप विश्वास करें, उसके बाद अब तक मुझे यह अनुभव हो रहा है उस बुजुर्ग के रूप में मेरे प्यारे(श्री हरि )मुझे मिले।धन्य है मेरे प्रभु का।प्रीति करो कान्हा से,संबंध जोड़ो कान्हा से।
जय जय श्री राधे कृष्णा जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।🙏🏻🌹
Think about Krishna. Think about the union of the soul with God. Do not consider yourself as the doer. Leave everything to Krishna with full devotion. Krishna is Narayan. From whom Brahma was born, and then Shiva was born from Brahma. Lord Krishna is the source of all origins. And He is called the all-cause. He himself says that all things have arisen from Me. Therefore I am the cause of all things. All things and this whole universe are under Me. There is no supreme controller other than Krishna. Are pure devotees constantly engaged in the transcendental loving service of the Lord, their minds never turning away from the lotus feet of Krishna, their hearts and souls constantly absorbed in Krishna. Devotees enjoy transcendental pleasure from the initial stage of devotion, and gradually develop love for God. And the plant in the form of devotion grows slowly, and eventually this plant takes shelter at the lotus feet of Lord Shri Krishna. Kirtan, Shravan, Manan, Pathan, etc., are the activities of watering the plant. Truth, Shri Krishna is pleased only by devotion. Krishna always resides in the heart of the devotee. The presence of Shri Krishna is like the sun, by which the darkness of ignorance is dispelled at once. Shri Krishna is both the friend and teacher of his devotees. . He imparts knowledge by becoming a lover and a friend. He made his devotees gain knowledge through the path of devotion. From Gopis to Meera and from Sudama to Surdas everyone got salvation. Make any relation with Lord Shri Krishna from your heart, then he will maintain this relation till your last step. Try loving my Kanha once. Today I I am sharing my experience with you. Just in winter I thought of distributing some blankets to the helpless elderly people. When I was bringing the blanket, I thought in my mind that I would first give one blanket to Thakur ji’s temple. Just now on the way many laborers were carrying goods on handcarts. Suddenly an elderly laborer came running to me and said You are taking this blanket to distribute, I said yes, he said, I need it very much, give me one, I gave him the first blanket avoiding the idea of giving it in the temple. Believe me, after that till now I am feeling that my beloved (Shri Hari) has met me in the form of that old man. Blessed is my Lord. Love Kanha, establish relations with Kanha. Jai Jai Shri Radhe Krishna ji. May Shri Hari bless you.🙏 🏻🌹