दिल पर पहरे लग नहीं सकते हैं। भाव से भक्त वृन्दावन में बिहारी जी के पास पहुंच जाता है। जब आता है तब अपने आप को खोकर कर आता है। दिल तो एक था दिल प्रभु का बन जाता है तब सब कुछ गौण हो जाता है
भाव सच्चा हो तो नैन मुंद ते ही बिहारी जी सामने खड़े होते हैं। जय श्री राम
अनीता गर्ग
प्रभु संकीर्तन 27
- Tags: कथा, शिव स्तुति, हनुमान चालीसा
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