जय श्री राम हमे देखना यहीं है हम दिन भर में प्रभु मे कितने खोते हैं। प्रभु प्रेम में खोने के लिए बाहरी पुजा पाठ की आवश्यकता नहीं है दिल में उठते हुए भाव की आवश्यकता है। जय श्री राम राम राम राम राम भक्त जब कभी कहीं भी भगवान का स्मरण कर लेता है राम राम राम जय श्री राम जय श्री राम राम
भाव की गहराई ऐसी हैं भक्त ऊपर से मौन होता है अन्तर्मन में प्रभु प्राण नाथ से बात कर रहा होता है। मेरे भगवान सबकुछ तुम ही हो ।आत्मा के स्वामी तुम हो ।हे नाथ आज ये दिल तुम्हारा बन जाना चाहता है ।जय श्री राम राम राम राम राम
अनीता गर्ग
प्रभु संकीर्तन 60
- Tags: कितने खोते, हम भगवान मे
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