[5]भगवान् से मानसिक
रमण की विशेषता

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राम | श्री हरि: ||

गत पोस्ट से आगे …………
अन्त:करण में, मन में भगवान् का प्रेमस्वरूप इस प्रकार प्रविष्ट हो रहा है | भगवान् मानो गड़ गये, अब किसी तरह हट नहीं सकते | सारी बातें मन से ही हो रही हैं, अब भगवान् छिप गये | उनके विरह में व्याकुल होकर मानो प्रार्थना कर रहा हूँ कि आप दर्शन क्यों नहीं देते ? आपके वियोग में मैं कैसे रह सकूँगा ? इस प्रकार वियोग से भावित होकर संयोग के लिये लालायित होना यह उनका स्मरण है | फिर भगवान् से प्रेम की बातें करनी हैं | वह परस्पर में गुह्य्भाष्ण है | छिपी हुई गोपनीय बातें जो भगवान् के साथ ही हो सकती हैं | वार्तालाप में दोनों परस्पर बोलते हैं | ऐसी गोपनीय है, संसार से छिपी हुई है | यह गुह्यभाषण है | इससे चित में जो प्रसन्नता, शान्ति मिलती है उसी का नाम संतोष है | ऐसा करने से शीघ्र ही प्रेम का प्रादुर्भाव होकर भगवान् की प्राप्ति हो जाती है | वास्तव में वहीँ भगवान् प्रकट हो जाते हैं |
भगवान् का दिव्य विग्रह है उससे स्वाभाविक ही मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है | भगवान् की लीला का प्रभाव अच्छा पड़ता है | उनके नेत्रों की छटा का अच्छा प्रभाव पड़ता है | भगवान् की वाणी, उपदेश, आदेश का अच्छा प्रभाव पड़ता है |
इस प्रकार के भाव से मनुष्य मुग्ध हो जाता है, उसको बड़ी भारी शान्ति मिलती है | उनके गुणों का प्रभाव पड़ता है | शरीर, नेत्र, वाणी, क्रिया, भाव इन पाँच चीजों का प्रभाव पड़ता है | इसी तरह पाँच बातें महात्माओं के विषय में है | फिर यह बात आती है कि इस प्रकार का प्रभाव प्रत्यक्ष होने पर अधिक पड़ता है या मानसिक का | यदि कहो मानसिक का पड़ता है तो मिलन की क्या आवश्यकता है ? यदि प्रत्यक्ष का पड़ता है तो मानसिक की इतनी महिमा क्यों है ?
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शेष आगामी पोस्ट में |
गीताप्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रद्धेय जयदयाल गोयन्दका जी की पुस्तक *जन्म-मरण से छुटकारा* पुस्तक कोड १७९० से |
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Ram | Sri Hari: || Following on from the last post………… This is how God’s form of love is entering in the heart, in the mind. God is as if buried, now cannot move in any way. All things are happening from the mind, now God has hidden. Distraught in their separation, as if I am praying that why don’t you give darshan? How can I live in your separation? In this way, being affected by separation and longing for a coincidence, this is his remembrance. Then talk about love with God. They are mutually secretive. Hidden confidential things that can happen only with God. In conversation both speak to each other. It is such a secret, hidden from the world. This is a secret speech. The happiness and peace that comes from this is called Santosh. By doing this, God is attained by the emergence of love soon. In fact, there the Lord appears. There is a divine idol of God, naturally it has an effect on human beings. God’s pastimes have a good effect. The shade of his eyes has a good effect. God’s speech, preaching, orders have a good effect. A man becomes enchanted by this type of feeling, he gets immense peace. Their qualities have an effect. Body, eyes, speech, action, emotion these five things have an effect. Similarly, there are five things about Mahatmas. Then it comes to the point whether this type of influence is more visible or mental. If it is said to be mental, then what is the need of meeting? If it is about the visible, then why is there so much glory for the mental? — :: x :: — — :: x :: — Rest in upcoming post. Revered Jaidayal Goyandka’s book *Janma-Maran Se Riddhika* from book code 1790, published by Geetapress, Gorakhpur. — :: x :: — — :: x ::— ,

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