धर्म शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश
भी चारों युगों में अवतरित हुए हैं..

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सतयुग में वे महोत्कट विनायक के रूप में तो त्रेतायुग में मयूरेश्वर और द्वापर युग में शिवपुत्र गजानन के नाम से अवतरित हुए। वहीं गणेश पुराण के अनुसार कलयुग में भी गणेशजी अवतार लेगें।

गणेश पुराण में भगवान शिव ने पार्वती से स्वयं ये बताया है कि कलयुग के अंत में गणपति चारभुजा से युक्त होकर अवतार लेंगे और धूम्रवर्ण एवं शूर्पकर्ण के नाम से जाने जाएंगे। नीले रंग के घोड़े पर सवार होकर अपनी महाबल शाली सेना के साथ पापियों का विनाश करेंगे और सतयुग की सूत्रपात करेंगे।

कैसा होगा कलियुग :-


आने वाला समय कलियुग में वे सभी पाप चरम पर होंगे जो इस समय धीरे धीरे दिखाई दे रहे है | पंडितो का कार्य दुसरे वर्ण वाले करने लगेंगे | पंडित पेटू हो जायेंगे |

अधर्म की जीत होती रहेगी | देवी देवताओ से हट के भूत प्रेत को लोग पूजने लगेंगे | बलशाली व्यक्ति कमजोरो का शोषण करेंगे | काम क्रोध लोभ पाप अपने चरम चोटी पर होगा | मनुष्य की उम्र बस 16 साल रह जाएगी | पांच छ साल में प्रसव होने लग जायेगा | समय पर वर्षा नही होगी।खाने पीने के अन्न की कमी हो जाएगी | तीर्थ स्थल खत्म कर दिए जायेंगे |

कलयुग में होगा गणेश का अवतार,
करेंगे घोड़े की सवारी-
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पुराणों के अनुसार कलियुग के अंत में भगवान का कल्कि अवतार होने वाला है। लेकिन कलयुग में भगवान विष्णु अकेले नहीं आएंगे उनके साथ विघ्नहर्ता गणेश जी का भी अवतार होगा। जिस प्रकार कल्कि भगवान देवदत्त नाम के घोड़े पर सवार होकर पाप का नाश करेंगें|

उसी प्रकार गणेश जी भी नीले रंग के घोड़े पर सवार होकर पापियों का विनाश करेंगे और सतयुग की नई शुरूआत होगी। गणेश पुराण में गणेश जी के इस अवतार का विस्तार से वर्णन किया गया है।

इस पुराण में भगवान शिव ने पार्वती से कहा है कि कलयुग के अंत में भगवान गणेश चारभुजा से युक्त होकर अवतार लेंगे |

इस अवतार में गणेश जी का नाम धूम्रवर्ण एवं शूर्पकर्ण होगा। भगवान के हाथों में खड्ग होगा। अपनी इच्छा से गणेश जी सेना और अस्त्र-शस्त्र उत्पन्न करेंगे। पापियों के बढ़ते मनोबल और धर्म की हानि से गणपति के नेत्रों में क्रोध भरा रहेगा|

पापियों को नष्ट करने के लिए शूर्पकर्ण आंखों से अग्नि की वर्षा करेगे|पापियों का नाश करने के बाद जब गणेश जी का क्रोध शांत होगा तब अधर्मियों के डर से पर्वत की कंदराओं में छुपे हुए

संतजनों को भगवान गणेश आशीर्वाद देंगे और उनके हाथों में धर्म की पुनः स्थापना का काम सौंपेंगे। इस तरह फिर से सतयुग का आरंभ गणेश जी के हाथों से होगा| || धूम्रवर्ण गणेश भगवान की जय हो ||

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