गुरुदेव ज्ञान का प्रकाश है

जय गुरुदेव शिष्य और गुरु का रिश्ता बड़ा विचित्र रिश्ता होता है जो भगवान राम ने कृष्ण ने और बड़े-बड़े संतो ने गुरु का महत्व बताया है इस संसार में अगर देखा जाए तो गुरु से बढ़कर कुछ भी नहीं है गुरु आत्मा को जगाने की एक चाबी है और युक्ति है मगर आज के समय में गुरु को पहचान सके समझ सके और गुरु के चरणों में श्रद्धा से बैठ सकें एसा कम देखने में आता है भगवान राम जी कृष्णा जी और बड़े-बड़े संत हुए महात्मा हुए उन्होंने गुरु के चरणों में बैठ
कर गुरु की सेवा की हैं और और आज के शिष्य गुरु की बराबरी में बैठ कर शिष्य बड़े होने का अपना परिचय देते हैं गुरु गीता शिव जी के द्वारा रचित है गुरु गीता है जो भी शिष्य है गुरु गीता का अध्ययन करना चाहिए और अपने ग्यान को आगे बढ़ाये जय श्री राम



Hail Gurudev The relationship between the disciple and the Guru is a very strange relationship, which has been told by Lord Ram, Krishna and great saints about the importance of the Guru, if seen in this world, then there is nothing greater than the Guru, a key to awaken the soul. There is another trick, but in today’s time, it is rare to see a Guru who can recognize him, understand him and sit with devotion at the feet of the Guru. Have served the Guru by doing and and today’s disciples give their introduction of being a disciple by sitting equal to the Guru. Guru Gita is written by Shiv ji. Carry on Jai Shri Ram

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