आध्यात्मिक विचार
कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण!
✨ उनकी श्रेष्ठता, कृतज्ञता शब्दों में व्यक्त करना हम जैसे सामान्य व्यक्तियों के लिए असंभव सी बात है
श्रीकृष्ण चरित्र जितना मोहक है उतना ही रहस्यमय है, जितना चंचल है उतना ही गंभीर, जितना सरल है उतना ही जटिल है, मानो प्रकृति का हर रूप अपने व्यतीक्रम के साथ उनके व्यक्तित्व में समाहित है
इतने आयामों को अपने में समेटे है कि युगों-युगों से लेखनी उनके महत्व का वर्णन करना चाहती है, किंतु हर बार नित नूतन आयाम के सम्मुख आने पर नेति-नेति कह नत मस्तक हो जाती है
नाम हरि का जप ले बन्दे, फिर पीछे पछतायेगा
अपने अपने गुरुदेव की जय
श्री कृष्णाय समर्पणं
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