भगवान श्री राम के
प्राकट्योत्सव की
अनन्त शुभकामनाएं

सभी देशवासियों को
भगवान श्री राम के
प्राकट्योत्सव की
अनन्त शुभकामनाएं..!

।। श्रीरामचरितमानस- बालकाण्ड ।।

छन्द-
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।।

लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी।।

कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना बेद पुरान भनंता।।

करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रगट श्रीकंता।।

ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै।।

उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै।।

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा।।

सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं हरिपद पावहिं ते न परहिं भवकूपा।।

अर्थ-
दीनों पर दया करने वाले, कौसल्याजी के हितकारी कृपालु प्रभु प्रकट हुए। मुनियों के मन को हरने वाले उनके अद्भुत रूप का विचार करके माता हर्ष से भर गई।

नेत्रों को आनंद देने वाला मेघ के समान श्याम शरीर था, चारों भुजाओं में अपने (खास) आयुध (धारण किए हुए) थे, (दिव्य) आभूषण और वनमाला पहने थे, बड़े-बड़े नेत्र थे। इस प्रकार शोभा के समुद्र तथा खर राक्षस को मारने वाले भगवान प्रकट हुए।

दोनों हाथ जोड़कर माता कहने लगी- हे अनंत ! मैं किस प्रकार तुम्हारी स्तुति करूँ। वेद और पुराण तुमको माया, गुण और ज्ञान से परे और परिमाण रहित बतलाते हैं। श्रुतियाँ और संतजन दया और सुख का समुद्र, सब गुणों का धाम कहकर जिनका गान करते हैं, वही भक्तों पर प्रेम करने वाले लक्ष्मीपति भगवान मेरे कल्याण के लिए प्रकट हुए हैं।

वेद कहते हैं कि तुम्हारे प्रत्येक रोम में माया के रचे हुए अनेकों ब्रह्माण्डों के समूह (भरे) हैं। वे तुम मेरे गर्भ में रहे- इस हँसी की बात के सुनने पर धीर (विवेकी) पुरुषों की बुद्धि भी स्थिर नहीं रहती। (विचलित हो जाती है।) जब माता को ज्ञान उत्पन्न हुआ, तब प्रभु मुस्कुराए। वे बहुत प्रकार के चरित्र करना चाहते हैं। अतः उन्होंने (पूर्व जन्म की) सुंदर कथा कहकर माता को समझाया, जिससे उन्हें पुत्र का (वात्सल्य) प्रेम प्राप्त हो। (भगवान के प्रति पुत्र भाव हो जाए।)

माता की वह बुद्धि बदल गई, तब वह फिर बोली- हे तात ! यह रूप छोड़कर अत्यन्त प्रिय बाललीला करो, (मेरे लिए) यह सुख परम अनुपम होगा। (माता का) यह वचन सुनकर देवताओं के स्वामी सुजान भगवान ने बालक (रूप) होकर रोना शुरू कर दिया। तुलसीदासजी कहते हैं- जो इस चरित्र का गान करते हैं, वे श्रीहरि का पद पाते हैं और (फिर) संसार रूपी कूप में नहीं गिरते।

दोहा-
बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार।।

अर्थ-
ब्राह्मण, गो, देवता और संतों के लिए भगवान ने मनुष्य का अवतार लिया। वे (अज्ञानमयी, मलिना) माया और उसके गुण (सत्‌, रज, तम) और (बाहरी तथा भीतरी) इन्द्रियों से परे हैं। उनका (दिव्य) शरीर अपनी इच्छा से ही बना है। (किसी कर्म बंधन से परवश होकर त्रिगुणात्मक भौतिक पदार्थों के द्वारा नहीं।)

।। जय जगदाधार भगवान श्री ‘राम’ ।।



to all countrymen Lord Shri Ram’s of revelation Eternal best wishes..!

।। Sri Ramacharitmanas- Balkand.

verse- If you are revealed, merciful, Deendayala, Kausalya is beneficial. Harshit Mahtari Muni lost his mind, a wonderful poor woman.

Lochan Abhirama Tanu Ghansyama Nij Ayudh Bhujchari. Bhushan Banmala Nayan Bisala Sobhasindhu Kharari.

Tell me, do a lot of praise for me, let me do some rituals Ananta. Maya Gun Gyanateet Amana Bed Puran Bhananta.

Karuna Sukh Sagar Sab Gun Agar Jahi Gaohi Shruti Santa. So Mum’s interest is in the interest of the public, Bhayu Pragat Shrikanta.

Maya created by the body of the universe is called Rome Rome per Veda. Mum ur so stale listening to this ridicule, my mind is not stable.

When the crop is known, the Lord smiles and wants to do many rituals. Kahi katha suhai matu bujhai jehi prakar sut prem lahai।।

Mata Puni Boli So Mati Doli Tajhu Tat Ye Rupa. Do it very dear, this happiness is very unique.

Suni Bachan Sujana Rodan Thana Hoi Balak Surbhupa. This is the character of Haripada Pavahin Te Na Parhi Bhavkupa.

Meaning- The kind Lord who has mercy on the poor, the benefactor of Kausalyaji appeared. The mother was filled with joy thinking of his wonderful form which defeated the minds of the sages.

He had a dark body like a cloud, giving pleasure to the eyes, (wearing) his (special) weapons in all four arms, wearing (divine) ornaments and garlands, had big eyes. In this way, the ocean of beauty and the God who killed the demon Khar appeared.

Mother started saying with folded hands – O Anant! How can I praise you Vedas and Puranas tell you beyond illusion, qualities and knowledge and without dimension. Whom Shrutis and sages praise as the ocean of mercy and happiness, the abode of all virtues, the Lord Lakshmipati, who loves the devotees, has appeared for my welfare.

The Vedas say that in each of your hairs there are clusters of many universes created by Maya. You remained in my womb – on listening to this laughter, even the intellect of calm (judicious) men does not remain stable. (Gets distracted.) When the mother got knowledge, then the Lord smiled. They want to do a variety of characters. So he explained to the mother by telling a beautiful story (of her previous birth), so that she would get the love of her son (Vatsalya). (There should be a feeling of a son towards God.)

Mother’s intelligence changed, then she again said – Oh father! Leave this form and do the most beloved ball-leela, (for me) this happiness will be very unique. Hearing these words (of the mother), Sujan Bhagwan, the lord of the deities, started crying in the form of a child. Tulsidasji says- Those who sing this character, they get the position of Sri Hari and (again) do not fall into the well of the world.

couplets Bipra Dhenu Sur Saint Hit Linh Manuj Avatar. Tanu Maya Gun Go Paar created by my own wish.

Meaning- The Lord incarnated as a human being for the sake of Brahmins, cows, gods and sages. They (ignorant, malina) are beyond Maya and its qualities (Sat, Raja, Tama) and the (outer and inner) senses. His (divine) body is made of his own will. (Not through the threefold material objects, bound by any karmic bondage.)

, Jai Jagdadhar Lord Shri ‘Ram’.

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