भगवान श्री राम प्राकट्योत्सव की
हार्दिक शुभकामनाएं 10

भगवान श्री राम प्राकट्योत्सव की
सभी स्नेहीजनों को हार्दिक शुभकामनाएं..!

।। श्रीरामचरितमानस- बालकाण्ड ।।
(राम जन्म)

चौपाई-
सुनि सिसु रुदन परम प्रिय बानी।
संभ्रम चलि आईं सब रानी।।

हरषित जहँ तहँ धाईं दासी।
आनँद मगन सकल पुरबासी।।

दसरथ पुत्रजन्म सुनि काना।
मानहु ब्रह्मानंद समाना।।

परम प्रेम मन पुलक सरीरा।
चाहत उठन करत मति धीरा।।

जाकर नाम सुनत सुभ होई।
मोरें गृह आवा प्रभु सोई।।

परमानंद पूरि मन राजा।
कहा बोलाइ बजावहु बाजा।।

गुर बसिष्ठ कहँ गयउ हँकारा।
आए द्विजन सहित नृपद्वारा।।

अनुपम बालक देखेन्हि जाई।
रूप रासि गुन कहि न सिराई।

अर्थ-
बच्चे के रोने की बहुत ही प्यारी ध्वनि सुनकर सब रानियाँ उतावली होकर दौड़ी चली आईं। दासियाँ हर्षित होकर जहाँ-तहाँ दौड़ीं। सारे पुरवासी आनंद में मग्न हो गए।

राजा दशरथजी पुत्र का जन्म कानों से सुनकर मानो ब्रह्मानंद में समा गए। मन में अतिशय प्रेम है, शरीर पुलकित हो गया। आनंद में अधीर हुई बुद्धि को धीरज देकर और प्रेम में शिथिल हुए शरीर को संभालकर वे उठना चाहते हैं।

जिनका नाम सुनने से ही कल्याण होता है, वही प्रभु मेरे घर आए हैं। यह सोचकर राजा का मन परम आनंद से पूर्ण हो गया। उन्होंने बाजे वालों को बुलाकर कहा कि बाजा बजाओ।

गुरु वशिष्ठजी के पास बुलावा गया। वे ब्राह्मणों को साथ लिए राजद्वार पर आए। उन्होंने जाकर अनुपम बालक को देखा, जो रूप की राशि है और जिसके गुण कहने से समाप्त नहीं होते।

दोहा-
नंदीमुख सराध करि जातकरम सब कीन्ह।
हाटक धेनु बसन मनि नृप बिप्रन्ह कहँ दीन्ह।।

अर्थ-
फिर राजा ने नांदीमुख श्राद्ध करके सब जातकर्म-संस्कार आदि किए और ब्राह्मणों को सोना, गो, वस्त्र और मणियों का दान दिया।

चौपाई-
ध्वज पताक तोरन पुर छावा।
कहि न जाइ जेहि भाँति बनावा।।

सुमनबृष्टि अकास तें होई।
ब्रह्मानंद मगन सब लोई।।

बृंद बृंद मिलि चलीं लोगाईं।
सहज सिंगार किएँ उठि धाईं।।

कनक कलस मंगल भरि थारा।
गावत पैठहिं भूप दुआरा।।

करि आरति नेवछावरि करहीं।
बार बार सिसु चरनन्हि परहीं।।

मागध सूत बंदिगन गायक।
पावन गुन गावहिं रघुनायक।।

सर्बस दान दीन्ह सब काहू।
जेहिं पावा राखा नहिं ताहू।

मृगमद चंदन कुंकुम कीचा।
मची सकल बीथिन्ह बिच बीचा।

अर्थ-
ध्वजा, पताका और तोरणों से नगर छा गया। जिस प्रकार से वह सजाया गया, उसका तो वर्णन ही नहीं हो सकता। आकाश से फूलों की वर्षा हो रही है, सब लोग ब्रह्मानंद में मग्न हैं।

स्त्रियाँ झुंड की झुंड मिलकर चलीं। स्वाभाविक श्रृंगार किए ही वे उठ दौड़ीं। सोने का कलश लेकर और थालों में मंगल द्रव्य भरकर गाती हुईं राजद्वार में प्रवेश करती हैं।

वे आरती करके निछावर करती हैं और बार-बार बच्चे के चरणों पर गिरती हैं। मागध, सूत, वन्दीजन और गवैये रघुकुल के स्वामी के पवित्र गुणों का गान करते हैं।

राजा ने सब किसी को भरपूर दान दिया। जिसने पाया उसने भी नहीं रखा, लुटा दिया। नगर की सभी गलियों के बीच-बीच में कस्तूरी, चंदन और केसर की कीच मच गई।

दोहा-
गृह गृह बाज बधाव सुभ प्रगटे सुषमा कंद।
हरषवंत सब जहँ तहँ नगर नारि नर बृंद।।

अर्थ-
घर-घर मंगलमय बधावा बजने लगा, क्योंकि शोभा के मूल भगवान प्रकट हुए हैं। नगर के स्त्री-पुरुषों के झुंड के झुंड जहाँ-तहाँ आनंदमग्न हो रहे हैं।

।। जय हो परब्रह्म भगवान श्रीराम ।।



Lord Shri Ram Prakatyotsav Best wishes to all the dear ones..!

, Shri Ramcharitmanas – Child Scandal. (Birth of Ram)

Quadruped Listen to Sisu’s cry, my dearest friend. All the queens came in confusion.

Wherever Harshit was, there was a maidservant. Anand Magan Sakal Purbasi.

Listen to the birth of Dasaratha’s son. Manhu Brahmanand Samana.

Ultimate love, mind, body. When the desire arises, the mind slows down.

It was good to go and hear the name. Peacocks came to the house and the Lord slept.

Bliss full mind king. Where did you say Bajahu Baja.

Where did Guru Basishtha go? Came to Nripdwara along with Dwijan.

Anupam Balak Dekhenhi Jai. Roop Rasi Gun Kahi Na Sirai.

Meaning- Hearing the lovely sound of the child’s cry, all the queens came running hurriedly. The maids happily ran everywhere. All the ancestors got engrossed in joy.

King Dashrathji got absorbed in Brahmanand after hearing the birth of the son with his ears. There is a lot of love in the mind, the body is thrilled. He wants to get up by giving patience to the mind that is impatient in bliss and by taking care of the body that is relaxed in love.

The one whose name brings welfare, that same Lord has come to my house. Thinking of this, the king’s heart was filled with great joy. He called the musicians and asked them to play the instruments.

Was called to Guru Vashishthaji. He came to the palace with the brahmins. He went and saw the unique child, who is the sum of form and whose qualities cannot be said.

Doha- Nandimukh performed the funeral and performed all the rituals. Hatak dhenu basan mani nrip bipranh kahn dinh।।

Meaning- Then the king performed Nandimukh Shradh and performed all the caste rituals etc. and donated gold, cows, clothes and gems to the Brahmins.

Chopai- Flag banner toran city shadow. Kahi na jaai jehi bhaanti banaava।।

Sumanbrishti happened in the sky. Everyone was happy with Brahmanand.

They walked together in groups. Sahaj Singar Kyen Uthi Dhain।।

Kanak Kalas auspicious thara. Gavat Paithin Bhoop Duara.

Kari Aarti Nevchavari Karahin. bar bar sisu charananhi parahin।।

Magadh Sut Bandigan Singer. Raghunayak of the holy gun village.

Sarbas dan dinh sab kahu. Where I can’t keep anything, I don’t want it.

Mirgamad Chandan Kumkum Keecha. Machi sakal bethinh beecha beecha.

Meaning- The city was covered with flags, banners and pylons. The way it was decorated cannot be described. Flowers are raining from the sky, everyone is engrossed in Brahmanand.

A herd of women walked together. She got up and ran after wearing natural makeup. Carrying a golden urn and plates filled with auspicious liquid, she enters the palace singing.

She performs aarti and falls at the feet of the child again and again. The Magadhas, Sutas, Vandijans and singers sing the holy qualities of the Lord of Raghukul.

The king gave a lot of charity to everyone. The one who got it didn’t even keep it, looted it. There was mud of musk, sandalwood and saffron in all the streets of the city.

couplets Sushma Kand, home, house, eagle, good luck. Harshwant everywhere, city, women and men.

Meaning- Auspicious greetings started ringing in every house, because the original God of beauty has appeared. Here and there flocks of men and women of the city are ecstatic.

, Hail Parabrahma Lord Shriram.

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