कावड़ ल्याओ पिया चालो ने हरिद्वार को
कावड़ उठा के चालु गी मैं कावड़ियों के रेले में,
झुमु नाचू गी पिया जी भोले नाथ के मेले में,
गंगा नहाउ पिया चलो ने हरी द्वार को,
कावड़ ल्याओ पिया चालो ने हरिद्वार को
हरिद्वार में भोले जी का भंडारा करवाना से,
कावड़ में गंगा मैया का जल भी भर के लाना से,
ज्योत जलाऊ पिया चालो ने हरिद्वार को,
कावड़ ल्याओ पिया चालो ने हरिद्वार को
सच्चे मन से रत्न लाग रही मैं भोले की डोरी को,
संग में अपने ले आउंगी उस आजाद मन डोरी को,
केसु मैं गाउ पिया चालो ने हरिद्वार को,
कावड़ ल्याओ पिया चालो ने हरिद्वार को
Kavad lyao piya chalo ne haridwar
Kavad lifted up and started in the train of kavadis,
Jhumu nachu gi piya ji in the fair of Bhole Nath,
Ganga nahau diya chalo ne green door,
Kavad lyao piya chalo ne haridwar
By getting Bhole ji’s Bhandara done in Haridwar,
By bringing even the water of Ganga Maiya in Kavad,
The people who drank the lit the flame to Haridwar,
Kavad lyao piya chalo ne haridwar
I am applying gems with a sincere heart, to the cord of the innocent,
With me I will bring that free mind string,
Kesu main sung diya chalo to Haridwar,
Kavad lyao piya chalo ne haridwar