कावड़ियों ने हरिद्वार में धूम मचाई रे,
सावन का महीना आया है मेला भगतो का छाया है,
तू भी जल्दी आजा क्यों देर लगाई रे,
सजधज का कावडिया धोल रहे बम बम भोले बोल रहे,
जिसको देखो उसने कावड़ उठाई रे,
सब पाप तेरे कट जायेगे गम के बादल छट जायेगे,
हरिद्वार में भोले ने किरपा बरसाई रे,
जो कुछ है मन में बतला ले,
भोले से सब हल करवाले,
शर्मा बोल कौन सी तुज्को चिंता खाई रे,
Kavadis made a splash in Haridwar,
The month of Sawan has come, the fair is the shadow of the devotees,
Why did you come early too late,
Sajdhaj’s Kavadiya is dhol rahe bam bam naivete,
Whomever you see, he lifted the cauldron,
All your sins will be cut away, the clouds of sorrow will be dispelled,
In Haridwar, Bhole showered Kirpa Ray,
Tell me whatever is in your mind,
Those who solve everything with the naivety,
Sharma bol kaun tujko chinta khaye re,