मेरा मन पंछी ये बोले उड़ वृन्दावन जाऊँ

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मेरा मन पंछी ये बोले उड़ वृन्दावन जाऊँ

ब्रज की लता पता में मै राधे राधे गाऊं
मै राधे राधे गाऊं, मै श्यामा श्यामा गाऊं
मेरा मन पंछी ये बोले

वृन्दावन की महिमा प्यारे कोई ना जाने
प्रेम नगरिया मन मोहन की प्रेमी पहचाने
ब्रज गलियों में झूम-झूम के मन की तपन बुझाऊं

ब्रज की लता पता में..

निधि वनजी में जा कन्हैया रस रचाते है
प्रेम भरी अपनी बांसुरिया आप बजाते है
राधा संग नाचे सांवरिया दर्शन करके आऊ

ब्रज की लता पता में मै..

छैल छबीले कृष्ण पिया तेरी याद सताती है
कुहू कुहू कर काली कोयल मन तडपाती है
छीन लिया सब तूने मेरा यार कहा अब जाऊँ

ब्रज की लता पता में मै…

राधे राधे जपले मनवा दुःख मिट जायेंगे
राधा राधा सुनके कान्हा दौड़े आएंगे
प्यारे राधा रमण तुम्हारे चरणों में राम जाऊँ

ब्रज की लता पता में मै..




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