मात भवानी विनती करती हूँ
सजा हुआ उद्यान
नया वर्ष नवरात्रि आगमन
माता से विनती करती,
ऐसा भारत बने हमारा
मन में यह इच्छा रखती।
हर ग़रीब के मुख में रोटी
तन पर वस्त्र,बसेरा हो,
छोटे-बड़े सभी जन खुश हों
उनका नया सबेरा हो।
हर उन्नति हर निर्णय में भी
उनका नाम लिखा जाए,
श्रमिक बिना कुछ काम न संभव
उनका सम्मान सदा होए।
उच्च और निम्न वर्गों में
अन्तर कहीं नहीं होए,
भेदभाव और जातिवाद का
नामोनिशान नहीं होए।
विविध धर्म और भाषाओं से
सुरभित हो यह देश महान,
रंग-बिरंगे फूलों से हो
सजा हुआ जैसे उद्यान ।
नर -नारी सब एक साथ में
मिल कर कदम बढ़ाएँगे,
दोनों में कोई फर्क नहीं
अपना फ़र्ज़ निभाएँगे ।
स्वास्थ्य और साक्षरता होगी
होगा सबका पूर्ण विकास ,
मादक वस्तु के सेवन हेतु
होगा नहीं कोई स्थान।
विश्व-धरा पर शान्तिदूत बन
ध्वज तिरंग फहराएँगे ,
अपने प्यारे भारत को हम
इतना सौम्य बनाएँगे ।