राम नाम अमृत रसपान

भक्त मन को, दिल को, नैनो को, राम नाम  अमृत का रसपान कराना चाहता है । आत्मा कहती हैं, कि हे मन तु बाहर के स्वाद चखने के लिए डोला फिरता है। तु इतने जन्म लेकर भी प्यासा ही रहा। आज तु मुझ मे सिमट जा राम नाम के रस से सरोबर हो जा। तु बाहर मारा मारा फिरता है।मन तु भौतिक संसार से शान्त नहीं हो सकता है। संसार के किसी भी व्यक्ति से तृप्ति और शांति मिल ही नहीं सकती है। क्योंकि कोई तृप्त और शान्त हैं ही नहीं। यंहा झुठा  चना चबेना हैं। अ मन तु सत्य के पथ पर चल कर्म को अपना साथी बना कर देख। अ मन तुझमे फुलो की महक होगी।  यह हृदय ही रंग महल है हृदय में श्री हरि बैठे हैं अपने प्रियतम से ही सम्बन्ध बनाना है। अन्य से प्राप्त खुशी  मे सत्यता नहीं है। अन्तर्मन का आनंद स्थायी आनंद है। हम मन को अन्तर्मन मे टिका लेते हैं घर में प्रभु प्रेम की लहर बिखर जाती है।  तेरी खुशी बाहर की खुशी नहीं होगी फिर हृदय को कहती हैं कि ए दिल तु अपने अन्तर्मन में श्री हरि को बिठाकर नैन मुदले। श्री हरि तुझे आनंद सागर में डूबकी लगवा देगे। श्री हरि के आगमन पर सच्ची तृप्ति है। अ इन्दीरयो तुम प्राण नाथ प्यारे की सेवा में लीन हो जाओ। परम प्रभु की सेवा में जो आनंद है वह बाहरी संसार में नहीं है।अ वाणी तु परम पिता परमात्मा की स्तुति का गान कर। मेरे प्रभु प्राण नाथ का ऐसा गान कर समा ऐसा बंधे कि पृथ्वी का नर नारी झुमे मेघ गरजे काली घटाओ के साथ। आनन्द की वर्षा हो। श्री राम जय राम जय जय राम अनीता गर्ग



The devotee wants to make the mind, heart and soul drink the nectar of Ram’s name. The soul says, O mind, you wander to taste external tastes. You remained thirsty even after taking so many births. Today you get absorbed in me and get drenched in the juice of Ram’s name. You wander around outside. The mind cannot be at peace with the material world. Satisfaction and peace cannot be obtained from any person in the world. Because no one is satisfied and peaceful. Here is false gram chewing. O mind, walk on the path of truth and keep action as your companion. O mind, you will have the fragrance of flowers. This heart itself is a theater, Shri Hari is sitting in the heart, we have to have a relationship with our beloved only. There is no truth in happiness received from others. Inner happiness is permanent happiness. We keep our mind in the inner self and the wave of love for God spreads in the house. Your happiness will not be external happiness, then she tells the heart that O heart, keep Shri Hari in your heart and turn your eyes. Shri Hari will make you take a dip in the ocean of joy. There is true satisfaction on the arrival of Shri Hari. Oh senses, get absorbed in the service of the beloved Lord. The joy there is in serving the Supreme Lord is not found in the outside world. O Vani, sing the praises of the Supreme Father, the Supreme Soul. By singing such a song of my Lord Pran Nath, Sama becomes so enthralled that the men and women of the earth dance with the thundering clouds. Let there be rain of joy. Shri Ram Jai Ram Jai Jai Ram Anita Garg

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *