त्रिपुरारी वृषभ की सवारी जटा से श्री गंगा बेहती,
जटा से श्री गंगा बेहती जटा से श्री गंगा बेहती,
जिसने सागर का सारा विष पी लिया,
बन के किरात अर्जुन को वर दे दिया,
भागम धारी वैकुण्ठ के पुजारी,
जटा से श्री गंगा बेहती…….
नितय तांडव करते है नटराज शिव,
रुदर बन कर करते है संहार शिव,
करते है पूजा शिव के जैसा न दूजा,
जटा से श्री गंगा बेहती……
रहते पर्वत पे बिना घर द्वार के,
मिले लोहित दिगंबर निराकार ये,
त्रिपुरारी विशश्वर जटा धारी,
जटा से श्री गंगा बेहती,
Tripurari Vrishabha ride from Jata to Sri Ganga Behati,
Jata to Shri Ganga Behati Jata to Shri Ganga Behati,
Who drank all the poison of the ocean,
By becoming, Kirat gave a boon to Arjuna.
Priests of Bhagam Dhari Vaikuntha,
Shree Ganga Behati from Jata…….
Nataraja Shiva regularly performs tandav,
By becoming Rudar, Shiva destroys
Do not worship like Shiva,
Shree Ganga Behati from Jata……
Living on a mountain without a door,
Meet Lohit Digambar, the formless,
Tripurari Vishwaswar Jata Dhari,
Shri Ganga Behati from Jata,