भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में ही सच्चा सुख है। हरि नाम दीपक बिना मन में अंधेरा है। जीवन का सार है हरि नाम जप, हरे कृष्ण महामंत्र ही तारणहार है। मन में यह विश्वास होना चाहिए कि ठाकुर जी जो भी करेंगे मेरे हित में ही करेंगे। ठाकुर जी के आगे जिद नही करनी चाहिए। बल्कि शरणागत होना चाहिए। सुख के पीछे कौन दुख छिपा है यह हम नही जानते, कौन से दुख के पीछे सुख छिपा है यह भी हम नही जानते।
ठाकुर जी से हमेशा भक्ति सेवा के लिए कृपा भगवान श्री कृष्ण के प्रति शुद्ध शरनागति का भाव मांगना चाहिए।
सेवा स्वीकार होने पर सेवा करने के साधन भी ठाकुर जी ही देंगे। प्रभु की दया होने पर सूखी खेती भी हरी हो जाती है। प्यार जैसी दौलत दुनियां में नही है। भक्ति प्रेम के पाले पढ़ कर प्रभु अपने नियम ही बदल देते हैं। कामना की पूर्ति कामना की जननी है।
भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है 9 अध्याय के 34 श्लोक में बताते हैं
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु । मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायणः ॥ 34 ॥
अपने मन को मेरे नित्य चिन्तन में लगाओ, मेरे भक्त बनो, मुझे ही नमस्कार करो और मेरी ही पूजा करो। इस प्रकार मुझमें पूर्णतया तल्लीन होने पर तुम निश्चित रूप से मुझको प्राप्त होगे ।
इस घोर कलिकाल से बचने का एकमात्र तरीका यह है कि व्यक्ति को भक्ति की ओर लौट आना चाहिए और हर समय हरे कृष्ण महामंत्र का जप और कीर्तन करते रहना हे, संशारिक कार्य करो लेकिन हरिनाम साथ में जपते रहो l
जो व्यक्ति धर्म से विमुख होकर रहेगा, वह कहीं भी, कभी भी अकाल मौत को प्राप्त होगा या हर समय दुखी और संकटों से गिरा रहेगा, धर्मो रक्षत: रक्षित:….
नाम हरि का जप ले बंदे फिर शरीर छूट जाने पे पछतायेगा.
सदैव तत्परता से महामंत्र का जप करे और मनुष्य जीवन का उदेश सार्थक करे
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे|
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे||
True happiness lies in devotion to Lord Shri Krishna. Without the lamp named Hari, there is darkness in the mind. The essence of life is to chant the name of Hari, Hare Krishna Mahamantra is the savior. There should be faith in my mind that whatever Thakur ji does, he will do it only in my interest. One should not insist in front of Thakur ji. Rather one should surrender. We don’t know which sorrow is hidden behind happiness, we don’t even know which happiness is hidden behind which sorrow.
One should always ask for the grace of Thakur Ji for devotional service and a feeling of pure surrender towards Lord Shri Krishna.
On accepting the service, Thakur ji will also provide the means to serve. Due to the mercy of God, even dry crops become green. There is no wealth like love in this world. God changes His rules after reading the rules of devotion and love. Fulfillment of desires is the mother of desires.
Lord Krishna has said in Geeta in verse 34 of chapter 9 that
Be mindful of Me, be My devotee, live in Me, and offer Me obeisances. Having thus fixed yourself on Me, you will come to Me. 34 ॥
Devote your mind to my daily thoughts, become my devotee, salute me and worship only me. In this way, by being completely engrossed in Me, you will definitely attain Me.
The only way to escape from this dire time is that one should return to devotion and keep chanting and doing Kirtan of Hare Krishna Mahamantra all the time, do worldly work but keep chanting Harinam along with it.
The person who remains detached from Dharma will meet untimely death anywhere, anytime or will remain miserable and beset by troubles all the time, Dharmo Rakshatah Rakshitah….
If one chants the name Hari then he will regret leaving the body.
Always chant the Mahamantra diligently and make the purpose of human life meaningful.
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare
Hare Ram Hare Ram Ram Ram Hare Hare||