प्रेम क्या है ,

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एक “शब्द”
अगर इसे लोगो से पूछा जाता
तो जबाब क्या होता

“प्रेम क्या है..?”
लओत्सो———-
प्रेम एक ध्यान है
जिस में केन्द्रित हो जाओ.!

“प्रेम क्या है…?”
गौतम बुध———
प्रेम एक
साक्षी भाव है दर्पण है..!

“प्रेम क्या है…?”
सुकरात———–
प्रेम द्वार है
नए जीवन में जाने का.!

“प्रेम क्या है…?”
कृष्ण————-
प्रेम तो समर्पण है
भक्ति है रम जाओ..!

“प्रेम क्या है…?”

प्रेम एक एसा युद्ध है
जो भाव से जीता जाये.!

“प्रेम क्या है…?”
ज़ीज़स————
प्रेम एक रास्ता है जो
सुख की अनुभूति देता है..!

“प्रेम क्या है…?”
नीत्से————-
प्रेम वो रस है
जो नीरस है
पर मीठा लगता है..!

“प्रेम क्या है…?”
मीरा ————-
प्रेम तो गीत है
मधुर आत्मा से गाये जाओ.!

“प्रेम क्या है…?”
फ्रायड————
प्रेम वो स्थति है
जिस में अहम् मिट जाता है.!

“प्रेम क्या है…?”
ग़ालिब———–
वो मदिरा है
जो नशा देती है
और दीवाना बना देती है.!

“प्रेम क्या ह…?”
हिप्पी लोग——–
प्रेम तो किये जाओ बस किये जाओ
अंत नहीं…!

“प्रेम क्या है…?”
सूरदास———–
प्रेम एक एहसास है
जो ह्रदय को
ख़ुशी से भर देता है..!

“प्रेम क्या है…?”
ओशो————-
तुम ही प्रेम हो
तुम प्रेम ही हो जाओ
तुम प्रेम में
दो होकर भी एक हो..!

“प्रेम क्या है…?”
पंतजलि———–
प्रेम वो योग है
जो ह्रदय से उठ कर
भाव में बदलता है..!

“प्रेम क्या है…?”
विज्ञानं भेरव——-
प्रेम तंत्र है
दो आत्माओ को
एक सूत्र में बांधता है.!

“प्रेम क्या है…?”
मायाजाल—
प्रेम वो मायाजाल है
जो हर मोह को त्याग देता है.!

“प्रेम क्या है…?”
भगवतगीता
प्रेम परिभाषा है
खुद को स्वयं को
भाषित करने की…!!

प्रेम ही परमात्मा हैं। जो दिखता नहीं है सिर्फ महेसुस होता है सिर्फ एक खूबसूरत एहसास,,

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