सृष्टि के कण कण में प्रभु समाए हुए

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हम मन्दिर जाते हैं मन्दिर के प्रागणं में शान्ति को महसूस करते हैं। हम शान्ति महसूस इसलिए करते हैं क्योंकि हमने अपने विचारों को कुछ समय के लिए रोक दिया। अन्तर्मन से हम सोचने लगे कि भगवान के दर्शन करेंगे। और हमारे अन्दर शान्ति समा गई। हमने मन्दिर मे भगवान के दर्शन किए। भगवान् से कुछ बात की मन्दिर में दर्शन करते हुए हम कहते हैं कि देखो भगवान् कितने अच्छे हैं। हम भगवान् को ह्दय में धारण करते हैं तब हमें मन्दिर में भगवान् अच्छे लगते हैं। हम कुछ स्तुति के द्वारा भगवान् से बात की और चल देते हैं।लेकिन मन्दिर मे जाकर भगवान् जो बोलते हैं वो हम नहीं सुनते। भगवान् कहते हैं कि मेरी मुर्त तुझे इतनी शान्ति देती है। भगवान् कहते हैं कि ये मूर्त मेरा रूप और आकार नही है। मेरा रुप तो सृष्टि के कण कण में समाया है। मेरारुप तुझे कितनी शान्ति देगा। मेरे रूप में झुम जाएगा मुझमें मन लगा तो सही। तेरे रोम रोम में आन्नद समा जाएंगा। मैं तुझे मिट्टी और धातु के बने पुतले में दिखता हूँ। मेरे द्वारा रचित जग को मेरी नजरो से निहार कर देख हर दिल में मै ही समाया हू। लहराती हुई प्रकृति को देख जिसकी महक से दिल झुम जाता है। कल कल करती हवाएँ जब चलती ऐसे लगता है जैसे अनेको वीणाए अन्दर नाद बजा रही है ।चमकते हुए सुरज चांद सितारो में मै ही तो समाया हूँ।
सृष्टि के कण कण में मै ही तो समाया हूँ।
अनीता गर्ग



We go to the temple and feel the peace in the temple premises. We feel at peace because we have stopped our thoughts for a while. From within, we started thinking that we would have darshan of God. And there was peace within us. We had darshan of God in the temple. While talking to God in the temple, we say that look how good the Lord is. When we hold the Lord in the heart, then we like the Lord in the temple. We talk to the Lord through some praise and go on. But we do not listen to what the Lord says by going to the temple. God says that my idol gives you so much peace. The Lord says that this embodiment is not my form and shape. My form is absorbed in every particle of the universe. How much peace will my form give you? If I feel like it will swing in my form, then it is right. There will be joy in your Rome Rome. I see you in an effigy made of clay and metal. Seeing the world created by me with my eyes, I am absorbed in every heart. Seeing the waving nature, the heart swells with its fragrance. When the winds blowing tomorrow, it seems as if many veenas are playing inside. I am absorbed in the shining sun and moon stars. I am absorbed in every particle of the world. Anita Garg

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