
आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं
आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं। तुम बिन कौन सुने वरदाती, किस को जा कर विनय सुनाऊं। आरती जगजननी मैं तेरी

आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं। तुम बिन कौन सुने वरदाती, किस को जा कर विनय सुनाऊं। आरती जगजननी मैं तेरी

सीया-रघुवर जी की आरती, शुभ आरती कीजिये -२ सीस मुकुट काने कुण्डल शोभे -२ राम लखन सीय जानकी, शुभ आरती

पाट पीताम्बर ओढ़े नीली साड़ी सीस के सिंदूर जाऊं बलिहारी पाट पीताम्बर ओढ़े नीली साड़ी माथे के सिंदूर जाऊं बलिहारी

आरती तेरी गाऊ, ओ केशव कुञ्ज बिहारीमैं नित नित शीश नवाऊ, ओ मोहन कृष्ण मुरारी। है तेरी छवि अनोखी, ऐसी

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ॐ जय लक्ष्मी माता॥उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही

आरति श्रीरामायण जी की । कीरति कलित ललित सिय पी की ॥ गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद । बालमीक बिग्यान बिसारद

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे |भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट,क्षण में दूर करे |

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥ऊं जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।मांग सिन्दूर

ओम जय शिव ओंकारा स्वामी जय शिव ओंकारा ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा । ॐ जय शिव ओंकारा ॥

आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्टदलन रघुनाथ कला की ॥ जाकें डर से गिरिवर काँपे । रोग दोष जाके निकट