एक अद्वैत ही सिद्ध हैं।
हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद बहुत से लोग पूजा पाठ व्रत उपवास को ही ईश्वर की प्राप्ति का साधन
हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद बहुत से लोग पूजा पाठ व्रत उपवास को ही ईश्वर की प्राप्ति का साधन
जीवन की मूल आत्म-जिज्ञासायें व सम्भावित समाधान १. भगवान कौन हैं ? भगवान हैं केवल श्री कृष्ण जो साकार हैं
जब कभी एक बार भी बिना निमित्त के तुम अपने से जुड़ जाते हो, तो घटना घट गई। कुंजी मिल
आपकी बातें अनेकों को अप्रिय क्यों लगती हैं? सुननेवाले पर निर्भर है। तुम अगर सच में ही सत्य की खोज
कौन चलाता है यह दुनियां को ??? कहाँ है ईश्वर??तुम माँ के पेट में थे नौ महीने तक, कोई दुकान
जब कभी एक बार भी बिना निमित्त के तुम अपने से जुड़ जाते हो, तो घटना घट गई। कुंजी मिल
एक समय था जब लोग आपस में मिलते थे तो ब्रह्म ज्ञान की चर्चा होती थी , स्व कल्याण पर
-यदि हम निर्मल शब्द की व्याख्या करते हैं तो इसका अर्थ है निर्मल बिना मल का।निर्माल्य का अर्थ है मानव
एक संत थे वृन्दावन में रहा करते थे, श्रीमद्भागवत में बड़ी निष्ठा थी उनकी, उनका प्रतिदिन का नियम था कि
1-निर्माल्य संस्कृत शब्द है। देवता को चढ़ाये गये, देवता को धारण कराये गये पुष्प, पुष्पमाला,नैवेद्य इत्यादि को देवता के विसर्जन,