
त्याग की गरीमा
भारतीय तत्त्व दर्शन में त्याग का स्थान बहुत महत्व का है। त्यागमय जीवन को ही यहां सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

भारतीय तत्त्व दर्शन में त्याग का स्थान बहुत महत्व का है। त्यागमय जीवन को ही यहां सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

मीरा का मार्ग था प्रेम का, पर कृष्ण और मीरा के बीच अंतर था पाच हजार साल का। फिर यह

पहले एक परमात्मा ही थे, वे ही परमात्मा संसार रूप से प्रकट हो गए एकोऽहं बहुस्याम् और अन्त में सब

मृत्यु का रहस्य जब सूक्ष्म शरीर देह से मुक्त होता है साँसें थमती हैं नाड़ियों में प्राण स्पंदन खोने लगते

अगर कोई भी यहां न हो, तो प्रकाश शून्य में गिरता रहेगा और कोई निकलेगा तो उस पर पड़ जाएगा।

मैं नहीं सोचता कि मैं उसे भलीभांति जानता हूं न ही मैं ऐसा सोचता हूं कि मैं उसे नहीं जानता

एक रात्रि की बात है, पूर्णिमा थी, मैं नदी तट पर था, अकेला आकाश को देखता था। दूरदूर तक सन्नाटा

हे परमात्मा जी मै कहती। भगवान् देख रहा है। मै जब भी घर में कार्य करती मेरा अन्तर्मन पुकारता भगवान्

दिन के चौबीस घंटों में तुम्हें एक घंटा मौन रहना जरूरी है, जब भी तुम्हारी सुविधा हो। तुम्हारा आंतरिक संवाद

मनुष्य अपने शरीर से अपनी आत्मा को अलग करना जान जाय–इसी का नाम समाधि है। वास्तव में ध्यान और समाधि