भगवान को हम हर परिस्थिति में भजते रहे
परमात्मा को हम सुख में दुख में दोनों समय याद रखे।हम भगवान को दुख में तो बहुत भजते है। सुख
परमात्मा को हम सुख में दुख में दोनों समय याद रखे।हम भगवान को दुख में तो बहुत भजते है। सुख
आत्म चिन्तन क्या है भगवान के एक भाव का चिन्तन करना।एक शब्द एक पंकती का अध्ययन करना उठते बैठते हुए
एक बार एक ख़ूबसूरत महिला समुद्र के किनारे रेत पर टहल रही थी। समुद्र की लहरों के साथ कोई एक
दिपावली का त्योहार है खुशियों की बहार है। दिपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय है ।हम शरीर रूप से तो
हम प्रतिदिन मन्दिर जाते और कहते हम मन्दिर में भगवान के दर्शन करने जाते हैं। हम भगवान की आरती करते
भक्त के दिल में प्रेम भाव में वात्सल्य भाव है। भक्त भगवान को ऐसे समेट लेना चाहता है कि जैसे
क्या तुम सचमुच मानते हो कि तुम इस संसार में एक मुसाफिर हो? काम तो ऐसे करते हो जैसे हमेशा
हमारा पति सिर्फ परमात्मा हैजिसे स्वयं हमने भूला दिया हैविधवायें बन हम सब रह रहीजीवन अपना बर्बाद किया हैहमारे दिल
हम धन कमाने और संपत्ति एकत्रित करने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि जीवन के अन्य पहलुओं की उपेक्षा
अपने लिए जिन्दगी जीना है।अपनो के कार्य में सहायक अवश्य बनो।लेकिन उनके साथ सम्बन्ध एक सीमा तक रखो मोह के