कोठरी में झाङु
यह शरीर ही कोठरी हैं कोठरी को बाहर से नहीं अन्तर्मन से सजाना है। कोठरी में हर समय झाङु लगती
यह शरीर ही कोठरी हैं कोठरी को बाहर से नहीं अन्तर्मन से सजाना है। कोठरी में हर समय झाङु लगती
परमात्मा जी तुम मेरे दिल में आ गए। तुमने मुझे अद्भुत प्रेम दिया ।हे परम पिता परमात्मा जी ये प्रेम
परमात्मा जी तुम दिल में आ गए। मेरे प्रभु प्राण नाथ प्यारे की मै वन्दना करते करते मैं मै ना
शून्यता को प्राप्त करने के लिए हमे त्याग के मार्ग पर चलना है। सब भावो को हम त्याग दे।भक्त के
हम राम राम कृष्ण कृष्ण भजते है। हम स्तुति करते हुए इस मार्ग पर आ जाते हैं कि एक मिनट
मन्दिर में सगुण साकार की पुजा की जाती है, हम मन्दिर में जाकर सभी भगवान के सामने धुप दिपक जलाते
साकार ही निराकार है और निराकार ही साकार है। एक मां का छोटा बच्चा है। बच्चे का मां लालन पालन
यदि आप भगवान की खोज में निकलते है। तो गुरु की सरण मे जाओ यह प्रथम चरण है। दूसरे चरण
भगवान का नाम सिमरन करते हुए विनती और स्तुति करते हुए भगवान के भाव बनने लगते हैं भगवान का प्रेम
सब शिव है केवल कैलाशों के दर्शन करके ही ईश्वर नहीं मिल जाते हैं साहिब, सबसे पहले मन के कैलाश