मन की पवित्रता
आनंद एक ऐसा परिस्थिति हैं जो अपने आप विशाल रूप ले लेता है। संसार में यदि एक व्यक्ति की सोच
आनंद एक ऐसा परिस्थिति हैं जो अपने आप विशाल रूप ले लेता है। संसार में यदि एक व्यक्ति की सोच
संसार की कोई भी वस्तु इतनी कीमती नहीं,जितना कीमती वो परमात्मा है।हम चाहे संसार की कितनी कीमती चीज मांग लेपर
कितना सुंदर भाव है प्रेम ॥संसार में प्रेम को सर्वाधिक मधुर भावना माना जाता है ॥ जबकी संसार जिस प्रेम
साधक रोटी बना रहा है। रोटी को पुरी फुली हुई देखता है तो रोटी के अन्दर उसे लगता है कि
एक बार वृन्दावन में हमारे मन में अकस्मात इच्छा हुई की हम गंगा स्नान करने जायें। सोमवती अमावस्या
मानव शरीर एक योनी है।ये शरीर परमात्मा को अत्यन्त प्रिय है।क्योंकिबाकी सभी योनियां सिर्फ एक ही कर्म करते हैं वो
🔷 “जी, मेरी बुद्धि वहाँ तक नहीं पहुँचती और मेरा मन इसकी धारणा नहीं कर सकता।”🔶 “प्यारे राजकुमार ! तुम्हारी
हमारे अन्दर सब कुछ है। हम बाहर की दुनिया में खोए रहते हैं अपने नजरिए से अन्तर्मन में झांक कर
जय दुख देवता तु मुझे रूलाने आया है। मै तेरी क्या सेवा कर सकती हूँ। तु मन को रूला सकता
यह शरीर ही कोठरी हैं कोठरी को बाहर से नहीं अन्तर्मन से सजाना है। कोठरी में हर समय झाङु लगती