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भगवान ने हमारे दिलों में दर्शन की तङफ जागृत की है। भगवान का यह हमारे लिए सबसे बड़ा प्रसाद है
भगवान ने हमारे दिलों में दर्शन की तङफ जागृत की है। भगवान का यह हमारे लिए सबसे बड़ा प्रसाद है
एक सच्चे भक्त की पुकार कहती हैं कि हे प्रभु तु मुझे ऐसे ही दर्शन मत दे देना। मै कुटील
इस शरीर को पालते हुए भी अ प्राणी तु भगवान का बन जब तु चलता है तब अन्तर्मन मे धारण
परमात्मा का क्षण भर का साक्षात्कार दिल में हलचल मचा देता है। आन्नद की सीमा बढ जाती है। भगवान् की
परमात्मा को साथ रखते हुए यदि हम किसी से प्रेम करते हैं तो प्रेमी में परमात्मा की खोज करते हैं।
यह जीवन भगवान ने दिया है। भगवान ही इसका मालिक हैं। भगवान हर भाव में छुपे हुए हैं।भगवान ने तीन
जीवन में हम जैसे भी हो जब भी समय मिले भगवान को भजते रहे भगवान मेरे है मै भगवान का
प्रभु प्राण नाथ से प्रेम मांगे हम हे प्रभु प्राण नाथ तु मुझे कितने ही कष्ट देना फिर भी ये
भक्त भगवान को भजते हुए भगवान के भाव मे लीन रहता है। भक्त का दिल हर क्षण भगवान को पुकारता
आज की पीढ़ी मानव जीवन के मुल्य को भुल गई है। वह शारीरिक जीवन को असली जीवन समझ बैठी है।