मौन
भक्त भगवान को भजते हुए नाम जप कीर्तन करते हुए देखता है कि भाव की गहराई नहीं बन रही है
भक्त भगवान को भजते हुए नाम जप कीर्तन करते हुए देखता है कि भाव की गहराई नहीं बन रही है
प्राणी एक दिन सोचता है। कि मैंने खाने पीने सोने में जीवन व्यतीत कर दिया। तेरा इतना जीवन बीत गया।
भगवान हमारे अहसास में आ गए हमारे जीवन का लक्ष्य परमात्मा को सच्चे मन से भजना है हमे देखना यह
प्रभु प्रेम हे परम पिता परमात्मा जी मै तुमको प्रणाम करता हूँ हे मेरे भगवान् नाथ हे दीनदयाल हे मेरे
साधना में लगन मोक्ष की प्राप्ति का साधन है। हम क्या करते हैं थोड़ी सी पुजा पाठ करते ही अपने
भगवान का चिन्तन, मनन, सिमरण, स्मरण करते हुए भक्त को सबकुछ प्रभु रूप दिखने लगता है। भक्त को अपने अन्तर्मन
हमने गुरु किसलिए बनाया है। गुरू हमारी श्रद्धा और विश्वास के आसन पर विराजमान होते हैं भगवान को भजते हुए
परम पिता परमात्मा के चिन्तन में हमे अपने मन को लगाना है। हम तो क्या करते हैं कि हम भगवान
घर घर सभी करे घर ना किसी का होय ।घर को सजाने मे प्राणी के लिए जिन्दगी छोटी पङ जाती
आज का व्यक्ती समय की महत्ता को भुल गया है। समय को पकड़ कर रखना नहीं चाहता है। समय कभी