![anemone 2396299 1920946084974795410064](https://bhagvanbhakti.com/wp-content/uploads/2022/04/anemone-2396299_1920946084974795410064-768x512.jpg)
निराकार भाव में अध्यात्मवाद
साकार ही निराकार है और निराकार ही साकार है। एक मां का छोटा बच्चा है। बच्चे का मां लालन पालन
साकार ही निराकार है और निराकार ही साकार है। एक मां का छोटा बच्चा है। बच्चे का मां लालन पालन
हे परम पिता परमात्मा जी आज ये दिल तुमसे एक ही पुकार कर रहा है। कि हे स्वामी मै तुमको
कोई भगवान की स्तुति सुनाना कोई कथा का विचार करते हुए प्रेम में डूब जाना। भगवान की भक्ति की प्रेम
आज मैं अपने मन को दिल को नैनो राम नाम अमृत रस का रसपान कराना चाहती हूं। आत्मा कहती हैं
हे भगवान नाथ, हे स्वामी दिल में एक ही, इच्छा जागृत होती है कब प्रभु प्राण नाथ से मिलन होगा।
जय श्री राम आज हमे अपने अन्दर शान्ति जाग्रत करके अपने तन मन की रक्षा करनी चाहिए। भगवान को भजते
आत्म चिन्तन किया या नहीं परमात्मा के चरणो में समर्पित हुई या नहीं। अन्दर परमात्मा से मिलन की तङफ जगी
भक्त के दिल में भगवान तङफ रहने नहीं देते हैं। भगवान भक्त के दिल की कामना को पुरण करने के
ये प्रेम जीवन भर हंसाता है जीवन भर रूलाता है। प्रभु प्रेमी अपने प्रभु के चरणों में समर्पित हो जाता
जय श्री राम परमात्मा हममें समाया हुआ है। यह कहने मात्र से बात नहीं बनती है। जब तक भगवान को