अनीता गर्ग (Anita Garg)

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Bhkat aur bhagvan ek rup

जब तक “मै” है तब तक इच्छाएं हैं। ये शरीर मेरा मै भगवान का भक्त हू। भगवान् मेरे है। इन

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प्रणाम साधना 3

जय श्री राम प्रभु प्राण नाथ को प्रणाम है ।प्रणाम करना हमारी संस्कृति है। प्रणाम साधना  है। हम प्रणाम परमात्मा

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प्रभु का आभामंडल

ये सुरज और चांद नहीं ये प्रभु का आभामंडल है। भगवान कृष्ण जल में झांकते है मस्तक पर चमकता प्रकाश

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चेतना जागृत

भगवान् कहते हैं कि तु मुझे पत्थर की मूर्ति में ढुढेगा तो तेरा दिल पत्थर जैसा कठोर बन जाएगा जङ

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आत्मा का चिन्तन

आत्मा अन्तर्मन का विषय है परमात्मा सब में है।कण-कण में है वह परमात्मा हमारे जल्दी से पकङाई में इसलिए नहीं

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