
मालिक की धरोहर
मैं तो हूं ही नहीं मेरा कोई नाम भी नहीं है। न ही मेरी पहचान है। मै जो दिखाई देता

मैं तो हूं ही नहीं मेरा कोई नाम भी नहीं है। न ही मेरी पहचान है। मै जो दिखाई देता

गोपियों का दिन रात हर क्षण प्रभु के साथ मिलन है। रोम रोम से कृष्ण नाम की ध्वनि गुंज रही

भगवान की छवि हमारी आत्मा का हमारी भक्ति और साधना का प्रतिबिंब है।हमारी जितनी आत्मा की पुकार होगी उतने ही

मुझे निचोड़ अपनी लगन से निकालना है।हमे लक्ष्य को पुरण करने के लिए हर क्षण तैयार सतर्क रहना है। हमे

ध्यान की सब से गहरी विधि हैं आप भगवान को खुली आंखों से कर्म करते हुए भजे आप बोल कर

भगवान से प्रेम करो प्राणी से प्रेम करो। हर स्पर्श में जङ और चेतन में परमात्मा बसा हुआ है। परमात्मा

अरे सांवरे तुझे तो छुपना भी नहीं आया। तु छुप तो गया पर कर्म की चाबी हमे देकर चला गया।

प्राणी संसार के सब सुख भोगता है। फिर भी तृप्त नहीं होता क्यों कि संसारिक सुख आत्मा को शांति प्रदान

सुक्ष्म तत्व में परमात्मा के चिन्तन के अलावा कुछ भी नहीं है। भगवान को हम शरीर रूप से भजते भगवान

हम शीश सबको नवाये पुजा किसी एक की दिन रात करे। अपना एक ही पार लगा देगा। रोज अनेक देवी