
शून्यता को प्राप्त
शून्यता को प्राप्त करने के लिए हमे त्याग के मार्ग पर चलना है। सब भावो को हम त्याग दे।भक्त के
शून्यता को प्राप्त करने के लिए हमे त्याग के मार्ग पर चलना है। सब भावो को हम त्याग दे।भक्त के
हम राम राम कृष्ण कृष्ण भजते है। हम स्तुति करते हुए इस मार्ग पर आ जाते हैं कि एक मिनट
संसार में सम्बन्धो में जो प्रेम दिखाई देता है वह वह मोह का रूप है ।हर सम्बन्ध लेन देन पर
मन्दिर में सगुण साकार की पुजा की जाती है, हम मन्दिर में जाकर सभी भगवान के सामने धुप दिपक जलाते
जय श्री राम जी अन्तर्मन का भाव ही पुजा है। हृदय में उठते भाव को शब्द नहीं हुआ करते हैं।
भगवान से मिलन के लिए लगन समर्पित भाव प्रेम और सत्यता हैं। कोई भी कार्य करे जब तक मन लगाकर
हे भगवान नाथ आज मैं तुम्हें कैसे नमन और वन्दन करू। आज ये दिल ठहर ठहर कर भर आता है।
कई बार मन को समझाती हूं। नैन बन्द करके बैठ जाती हूं। और सोचती हूँ देख अब तेरी शरीर की
निर्गुण निराकार भगवान् भक्त की भक्ति से रिझ कर शरीर धारण करते हैं। भक्त भगवान् नाथ मे इतना डुब जाता
जहाँ प्रेम है वहां प्रभु प्रेम की खोज प्रारम्भ होती है। वह किरया कर्म में परमात्मा को खोजता है। हे