भगवान की छवि आत्मा का प्रतिबिंब

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भगवान की छवि हमारी आत्मा का हमारी भक्ति और साधना का प्रतिबिंब है।हमारी जितनी आत्मा की पुकार होगी उतने ही भगवान नाथ श्री हरि बोलते हैं।  आज हम बांके बिहारी जी, श्री सीताराम जी के दर्शन करते हैं। हमने भगवान को दर्शन से पहले बहुत ज्यादा  सिमरण किया।

हमारे दिल में भगवान से मिलन की तङफ बनी हुई थी। राम राम श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे के साथ शीश नवाती मन ही मन में भगवान से बात करते हुए कहती हूं कि अहो कब भगवान के दर्शन होंगे।हम भगवान नाथ श्री हरि  से जुड़े हुए थे। तब मन्दिर में जाते ही ऐसे लगेगा भगवान बस मेरे से ही बात कर रहे हैं भगवान ने मुझे तीरछी नजर मारी है और मैं बावली हो कर झुम रही हूं। दिल प्रभु प्राण नाथ के आन्नद से उमङा जाता है। आज पांव धरती पर नहीं टिक रहे हैं। जय श्री कृष्ण हरि बोलते हुए मुझे ऐसा लगता है कि जैसे भगवान् नाथ साथ चल रहे हैं। जय श्री राम जय श्री राधे कृष्ण गोविंद हरे मुरारी मै भगवान की अनेक भावो से स्तुति कर रही हूं। जय श्री राम अनीता गर्ग

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