चैतन्य महाप्रभु (Chetanye Mahaprabhu)

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[76]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामभक्तवृन्द और गौरहरि निवारयाम: समुपेत्य माधवंकिं नोऽकरिष्‍यन् कुलवृद्धबान्धवा:।मुकुन्दसंगान्निमि‍षार्धदुस्त्यजाद्दैवेन विध्‍वंसितदीनचेतसाम्।। महाप्रभु का वैराग्य दिनों

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[75]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसंन्यास से पूर्व तत् साधु मन्येऽसुरवर्य देहिनांसदा समुद्विग्नधियामसद्ग्रहात्।हित्वाऽऽत्मपातं गृहमन्धकूपंवनं गतो यद्धरिमाश्रयेत।। महाप्रभु का

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[74]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामनवानुराग और गोपी-भाव क्वचिदुत्पुलकस्तूष्‍णीमास्ते संस्पर्शनिर्वृत:।अस्पन्दप्रणयानन्दसलिलामीलितेक्षण:।।आसीन: पर्यटन्नश्‍नञ्शयान: प्रपिबन् ब्रुवन्।नानुसंधत्त एतानि गोविन्दपरिरम्भित:।। महाप्रभु जब से

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[73]श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामभक्तों की लीलाएँ तत्तद्भावानुमाधुर्य्ये श्रुते धीर्यदपेक्षते ।नात्र शास्त्रं न युक्तिंच तल्लोभोत्पत्तिलक्षणम् ।। प्रकृति

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[79]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपरम सहृदय निमाई की निर्दयता वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि।लोकोत्तराणां चेतांसि को हि विज्ञातुमीश्‍वर:।।

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[72]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामक़ाज़ी की शरणागति वन्‍दे स्‍वैराद्भुतेअहं तं चैतन्‍यं यत्‍प्रसादत:।यवना: सुमनायन्‍ते कृष्‍णनामप्रजल्‍पका:।। बिना मुकुट के

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[71]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामनदिया में प्रेम-प्रवाह और क़ाज़ी का अत्‍याचार नामैकं यस्‍य वाचि स्‍मरणपथगतं श्रोत्रमूलं गतं

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[70]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामभगवत्-भजन में बाधक भाव भगवन्‍नाम सभी प्रकार के सुखों को देने वाला है।

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[68]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीकृष्‍ण–लीलाभिनय कवचिद रूदति वैकुण्‍ठचिंतासबलचेतन:।क्‍वचिद्धसति तच्चिन्‍ताह्लाद उद्गायति क्‍वचित्।।नदति क्‍वचिदुत्‍कण्‍ठो विलज्‍जो नृत्‍यति क्‍वचित्।क्‍वचित्तद्भावनायुक्‍तस्‍तन्‍मयोऽनुचकार ह।। यदि

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[66]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजगाई-मधाई का पश्‍चात्ताप न चाराधि राधाधवो माधवो वान वापूजि पुष्‍पादिभिश्‍चन्द्रचूड:।परेषां धने धन्धने नीतकालोदयालो

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