[67]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसज्जन-भाव तृष्णां छिन्धि भज क्षमां जहि पापे रतिं मा कृथा:सत्यं ब्रूह्यनुयाहि साधुपदवीं सेवस्य
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसज्जन-भाव तृष्णां छिन्धि भज क्षमां जहि पापे रतिं मा कृथा:सत्यं ब्रूह्यनुयाहि साधुपदवीं सेवस्य
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम भक्तों के साथ प्रेम-रसास्वादन सर्वथैव दुरूहोअयमभक्तैर्भगवद्रस: । तत्पादाम्बुजसर्वस्वैर्भक्तैरेवानुरस्यते ।। प्रेम की उपमा
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजगाई और मधाई की प्रपन्नता सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते।अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजगाई-मधाई का उद्धार साधूनां दर्शनं पुण्यं तीर्थभूता हि साधव:।कालेन फलते तीर्थं सद्य: साधुसमागम:।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामघर-घर में हरिनाम का प्रचार हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नाम केवलम् ।कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामप्रेमोन्मत्त अवधूत का पादोदकपान वाग्भि: स्तुवंतो मनसा स्मरंत-स्तन्वा नमन्तोअप्यनिशं न तृप्ता:।भक्ता: स्त्रवन्नेत्रजला: समग्र-मायुर्हरेरेव
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजगाई-मधाई की क्रूरता नित्यानन्द की उनके उद्धार के निमित्त प्रार्थना किं दु:सहं नु
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामहरिदासजी द्वारा नाम-माहात्म्य हरिकीर्तनशीलो वा तद्भक्तानां प्रियोऽपि वा।शुश्रूषुर्वापि महतां स वन्द्योऽस्माभिरूत्तमः।। शोक और
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसप्तप्रहरिया भाव दिवि सूर्यसहस्रस्य भवेद्युगपदुत्थिता।यदि भाः सदृशी सा स्याद्भासस्तस्य महात्मनः।। महाभारत के युद्धक्षेत्र
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामभक्तों को भगवान के दर्शन मल्लानामशनिर्नृणां नरवरः स्त्रीणां स्मरो मूर्तिमान्’गोपानां स्वजनोऽसतां क्षितिभुजां शास्ता