
।। पञ्चदेवैः कृत श्रीगणेशस्तुतिः ।।
यह स्तोत्र स्वयं सिद्ध अनुभूत तथा अचूक है। अति गोपनीय स्तोत्र का जीवन में प्रयोग करें और अत्यंत चमत्कारिक लाभ

यह स्तोत्र स्वयं सिद्ध अनुभूत तथा अचूक है। अति गोपनीय स्तोत्र का जीवन में प्रयोग करें और अत्यंत चमत्कारिक लाभ

एक समय की बात है एक भाई बहन रहते थे। बहन का नियम था कि वह अपने भाई का चेहरा

एक समय की बात है कि विष्णु भगवान का विवाह लक्ष्मीजी के साथ निश्चित हो गया। विवाह की तैयारी होने

ॐ नमस्ते गणपतये।त्वमेव प्रत्यक्षं तत्वमसि।। त्वमेव केवलं कर्त्ताऽसि।त्वमेव केवलं धर्तासि।। त्वमेव केवलं हर्ताऽसि।त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्मासि।। त्वं साक्षादत्मासि नित्यम्।ऋतं वच्मि।

।। श्रीगणेशाय नमः ।। अनिर्वाच्यं रूपं स्तवननिकरो यत्र गणित-स्तथा वक्ष्ये स्तोत्रं प्रथमपुरुषस्यात्र महत:।यतो जातं विश्वं स्थितमपि सदा यत्र विलय:स कीदृग्गीर्वाण:

न जन्म तुम्हारे हाथ में न मृत्यु तुम्हारे हाथ मेंन भूख न प्यास,न नींद तुम्हारे हाथ में ,इसे तुम रोक

सतयुग में वे महोत्कट विनायक के रूप में तो त्रेतायुग में मयूरेश्वर और द्वापर युग में शिवपुत्र गजानन के नाम

कथा पढ़ने या सुनने से ही माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है, कभी धन की कमी नहीं रहती..एक गांव में साहूकार

अक्सर श्री गणेश की प्रतिमा लाने से पूर्व या घर में स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि

गणेश जी की कथा को सुनना अत्यंत ही शुभ होता है।एक बार गणेश जी महाराज एक सेठ जी के खेत