कृष्ण (Krishna)

“लीलामय का रुदन-नाट्य”

                            माता यशोदा वात्सल्य प्रेम की साकार मूर्ति हैं। परब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्णचन्द्र की नित्यलीला में वे नित्य माता है।

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राधा भाव में कृष्ण

राधाजी को वृंदावन की “अधीश्वरी”माना जाता है.स्कंद पुराण के अनुसार “राधाजी”भगवान “श्रीकृष्ण” की आत्मा हैं उनकी प्राणशक्ति हैँ.श्रीकृष्ण के बिना

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भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य

मूकं करोति वाचालं पंगु लंघयते गिरिम्।यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम्।। यन्नखेन्दुरुचिर्ब्रह्म ध्येयं ब्रह्मादिभिः सुरैः।गुणत्रयमतीतं तं वन्दे वृन्दावनेश्वरम्।। अविस्मृति कृष्णपदारविन्दयोःक्षिणोत्यभद्राणि शमं तनोति

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मदनमोहनाष्टकम्

जय शङ्खगदाधर नीलकलेवर पीतपटाम्बर देहि पदम्।जय चन्दनचर्चित कुण्डलमण्डित कौस्तुभशोभित देहि पदम्।।१।। जय पङ्कजलोचन मारविमोहन पापविखण्डन देहि पदम्।जय वेणुनिनादक रासविहारक वङ्किम

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भगवान कृष्ण

।। जय भगवान श्रीकृष्ण ।। भगवान श्रीकृष्‍ण का सभी अवतारों में सर्वोच्च स्थान है। संपूर्ण भारत में उन्हीं के सबसे

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