कन्हैया दर्शन को शिव आए हैं
यशोदाजी शिवजी के पास आई है औए कहने लगी -महाराज -अगर भिक्षा कम लगती हो मै आपको कम्बल और कमंडल
यशोदाजी शिवजी के पास आई है औए कहने लगी -महाराज -अगर भिक्षा कम लगती हो मै आपको कम्बल और कमंडल
शरद ऋतु की पूर्णिमा की रात, भगवान श्री कृष्ण, अपने सबसे प्रिय भक्तों, वृंदावन की गोपियों के साथ अपने सबसे
बर्बरीक (खाटूश्याम) घटोत्कच के पुत्र और भीम के पोते थे. बर्बरीक भगवान शिव के एक बड़े भक्त थे. तपस्या और
जिस प्रकार सोना 18 कैरेट का भी होता है 20 कैरेट का भी होता है 22 का भी होता है
.एक बार कान्हा अपनी सखा मण्डली के साथ वन में खेल रहे थे। सभी सखा अपने सखा कान्हा के साथ
श्रीदामा का मिलन हुआ कन्हैया से ……..दोनों के आनन्द का कोई ठिकाना नही था ……..ये नया सखा मिला था ….वैसे
ठाकुरजी की ये लीला बडी ही मनमोहक है नंदलाल ने सुबह ही टेरकंदब पर अपने सभी मित्रों को बुलाया और
एक बार की बात है, पांच सखियाँ थीं, पांचो श्री कृष्ण की अनन्य भक्त थीं. एक दिन वे वन में
🙏।।ॐ॥॥ॐ।।🙏 एक गोपी कहती है-उद्धव! एक बात कहें! आज हम धन्य हो गई हैं क्योंकि एक तो तुम्हे हमारे प्यारे
🙏ॐ🙏 गोपियों की बात सुनकर उद्धव की आँखों से आज आंसू आ गए हैं। उद्धव अब जान गए हैं की