
कान्हा तोहे राधे की सौगंध
वृन्दावन का एक भक्त ठाकुर जी को बहुत प्रेम करता था, भाव विभोर हो कर नित्य प्रतिदिन उनका श्रृंगार करता
वृन्दावन का एक भक्त ठाकुर जी को बहुत प्रेम करता था, भाव विभोर हो कर नित्य प्रतिदिन उनका श्रृंगार करता
श्री राधा रमण लाल जू का चमत्कार वृंदावन मे बिहार से एक परिवार आकर रहने लगा.. राजू वृंदावन मे रिक्शा
हे श्यामसुंदर ! हे गोपेश ! हम तुम्हारी अशुल्क दासी हैं। तुम्हारे बिना हमारा कोई मोल नही है , कोई
यशोदा माँ के होइ लाल बधाई सारे भक्ता ने, बधाई सारे भगता ने बधाई सारे भक्ता ने,बाजो रे बाजो देखो
श्याम तन श्याम मन श्याम ही है हमारो धन,आठों याम ऊधो हमे श्याम ही सों काम है।हे श्यामसुंदर रोम रोम
एक बार कन्हैया को जिद्द चढ़ गई कि मैं अपना चित्र बनवाऊँगाये बात कान्हा ने मईया ते कही, मईया मै
जिसपर तुम हो रीझते, क्या देते जदुबीररोना-धोना सिसकना, आहोंकी जागीर विरह एक अति विलक्षण योग है। एक विष की घूँट
हे मोहन मुरली वाले बस तेरा प्यार माँगा है इतना दे मुझे सहारा दिखला दे अपना द्वारामैं तेरा पूत पदों
सांवरा कहता है कि जो मुझे प्रेम से भजता है। उसके मन मन्दिर में मै निवास करता हूँ ।और हर
ठाकुर जी की नाव भवसागर के पार जा रही थी।ठाकुर जी ने कहा :- जिसे बैठना हो बैठ जाए।अब हम