
ऊधो मोहि बृज बिसरत नाही
ऊधो मोहि बृज बिसरत नाही कृष्ण ने कहा अव स्थिति इतनीं विगड़ गयी है अव क्या किया जा सकता
ऊधो मोहि बृज बिसरत नाही कृष्ण ने कहा अव स्थिति इतनीं विगड़ गयी है अव क्या किया जा सकता
जहां भगवान ने मइया यशोदा को मुख में दिखा दिया समस्त ब्रह्मांड भगवान कृष्ण प्रतिदिन गोपियों के यहाँ माखन चुराने
।। जय भगवान श्रीकृष्ण ।। भगवान श्रीकृष्ण का सभी अवतारों में सर्वोच्च स्थान है। संपूर्ण भारत में उन्हीं के सबसे
जहाँ प्रेम है, वहाँ लेनेकी इच्छा नहीं होती है। वहाँ तो सब कुछ देनेकी इच्छा होती है। भगवान्की भक्ति भगवान्के
साधकों ! मेरा ये सब लिखने का एक ही उद्देश्य है कि उस दिव्य निकुञ्ज की कुछ झलक आपको मिल
भगवान श्री कृष्ण जी गांधारी से कहते हैं कि माता ! मैं शोक , मोह , पीड़ा सबसे परे हूँ।
हमने उस परमात्मा को नटराज कहा है l एक मूर्तिकार, मूर्ति बनाता है, उसके बाद मूर्ति अलग है और मूर्तिकार
व्रज रज उड़ती देख कर मत कोई करजो ओट, व्रज रज उड़े मस्तक लगे गिरे पाप की पोत। जिन देवताओ
होली खेलन आयो श्याम आज याहि रंग में बोरो री, कोरे-कोरे कलश मँगाओ, रंग केसर को घोरो री, मुख ते
।। श्री कृष्णाय वयं नमः ।। अर्जुन को भगवान श्री हरि कृष्ण अपने विराट विश्वरूप का दर्शन कराते हुए कहते