श्रीकृष्ण का छठी पूजन महोत्सव
बच्चे के जन्म के बाद छठी पूजन क्यों किया जाता है? भगवान श्रीकृष्ण का छठी पूजन उत्सव कैसे मनाया गया?
बच्चे के जन्म के बाद छठी पूजन क्यों किया जाता है? भगवान श्रीकृष्ण का छठी पूजन उत्सव कैसे मनाया गया?
आज लाला एक दिन के हो गये है रेवती मैया यशोदा मैया जो को सखियों के साथ मोर पंख दे
आज नंदोत्सव है । नंदोत्सव अर्थात कल रात्रि में भगवान श्री कृष्ण नर रूप में पृथ्वी तल पर प्रकट हुए
श्री गणेशाय नमः। ॐ नमो विश्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमो नमः।।१।। नमो विज्ञानरूपाय परमानन्दरूपिणे।कृष्णाय गोपीनाथाय गोविन्दाय नमो नमः।।२।। नमः कमलनेत्राय
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र और वृषभ के चंद्रमा की
🌹 राधे राधे 🌹 बाबा नंद माँ यशोदा के मनमोद कूँ सुख प्रदान कर समूचे बृज की त्रिलोक में प्रतिष्ठा
मंद मंद बारिश होने लगी है। अर्ध रात्रि का समय है। देवकी और वसुदेव के हाथ-पैरो की बेड़ियां खुल गई
।। जय श्रीकृष्ण ।। अवतार का अर्थ होता है, उतरना, अवतरण; ऊपर से आता है कोई, जगह खाली करो, कोई
।। बाल मुकुंदाष्टकम् ।। करारविंदेन पदारविंदंमुखारविंदे विनिवेशयंतम्।वटस्य पत्रस्य पुटे शयानंबालं मुकुंदं मनसा स्मरामि।।१।। संहृत्य लोकान्वटपत्रमध्येशयानमाद्यंतविहीनरूपम्।सर्वेश्वरं सर्वहितावतारंबालं मुकुंदं मनसा स्मरामि।।२।। इंदीवरश्यामलकोमलांगंइंद्रादिदेवार्चितपादपद्मम्।संतानकल्पद्रुममाश्रितानांबालं
दिव्यकृष्णसँदेश-“उमड़ घुमड़ कर घिर रहे थे, तिमिर अमा शवरी में काले कजरारे जलद बादल आज! रह-रह कर गरज रहे थे