
महात्मा जी द्वारा राधा रानी की पोशाक
बरसाने में एक संत किशोरी जी का बहुत भजन करते थे और रोज ऊपर दर्शन करने जाते राधा रानी के
बरसाने में एक संत किशोरी जी का बहुत भजन करते थे और रोज ऊपर दर्शन करने जाते राधा रानी के
बैठी है झरोखे प्यारी कुंज भवन मोंमहलु न पावे पीय ठाढे दरसन कों ।उजारी तें उजारी माथे माँग सोहे गंगा
राणा सांगा के पुत्र और अपने पति राजा भोजराज की मृत्यु के बाद जब संबन्धीयो के मीरा बाई पर अत्याचार
मन को वश करके प्रभु चरणों में लगाना बड़ा ही कठिन है। शुरुआत में तो यह इसके लिये तैयार ही
जैसो नहिं कहुँ सुन्योँ न देख्योँ, हौं कह भुजहिं उठाय ।।जाकी नख-मणि चंद्र-चंद्रिकहिं, शंभु समाधिहिं ध्याय ।ताके संग रैन दिन
. रासलीला का आरम्भ शरद् ऋतु थी। उसके कारण बेला, चमेली आदि सुगन्धित पुष्प खिलकर महक रहे थे। भगवान ने
एक सखी बहुत सुंदर पायल लेकर स्वामिनी जू की सेवा में जाती है। मन में यही भाव आहा ! आज
शुभ्र पूर्णिमा की शुभ्र चँद्ररजनी थी चँद्रअमृत भरी ! उतरी शुभ्र चँद्रकमल से थी जैसे कोई शुभ्र चँद्रपरी!! जब नीलम
१. मंत्र:सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिकेशरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तुते | मंत्र का अर्थ:हे नारायणी! तुम सब प्रकार का
श्री समर्थ रामदास स्वामी एक दिन अपने शिष्यों के साथ यात्रा पर निकले थे।.दोपहर के समय एक बड़े कुएँ के