गुरुदेव पर आस्था
एक शिष्य की गुरुदेव पर आस्था है। एक शिष्य प्रतिदन अपने गुरूदेव के सामने शीश झुकाते हुए प्रणाम करता है।
एक शिष्य की गुरुदेव पर आस्था है। एक शिष्य प्रतिदन अपने गुरूदेव के सामने शीश झुकाते हुए प्रणाम करता है।
कोई गोपी उद्धव पर व्यंग्य करती है। मथुरा के लोगों का कौन विश्वास करे? उनके तो मुख में कुछ
भ्रमर गीत में सूरदास ने उन पदों को समाहित किया है जिनमें मथुरा से कृष्ण द्वारा उद्धव को
श्री हरि: पार्वती जी ने पूछा – ‘मुझे श्रीकृष्ण की महिमा कुछ बताइये |’ शंकर जी ने कहा – ‘देवी
हिंदू धर्म में चार धाम की यात्रा को अत्यंत पवित्र एवं महत्वपूर्ण माना गया है। इन्हीं चारों धामों में से
गीताप्रेस गोरखपुर में पूज्य श्रीहरि बाबा महाराज की एक डायरी रखी है उसमें बाबा के द्वारा हस्तलिखित लेख
श्मशानेष्वाक्रीडा स्मरहर पिशाचाः सहचराः |चिता-भस्मालेपः स्रगपि नृकरोटी-परिकरः || अमंगल्यं शीलं तव भवतु नामैवमखिलं |तथापि स्मर्तॄणां वरद परमं मंगलमसि || भावार्थ:
‘चोरजारशिखामणि:’ इसका अर्थ है कि भगवान् के समान चोर और जार दूसरा कोई है ही नहीं, हो सकता ही नहीं
*एक बार की बात है कियशोदा मैया, प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गयीं! और छड़ी लेकर श्री
श्री बिहारी जी महाराज के प्रिय जिनकी असीम प्रेमाभक्ति के कारण आज लाखों-करोड़ो भावुक भक्तों को श्री बिहारी जी महाराज