भगवान वेंकटेश्वर को नैवेद्य मिट्टी के पात्रों में क्यों निवेदित किया जाता है ?
आज के समय में जब छोटे-से-छोटे मंदिरों में भगवान को चांदी के पात्रों में नैवेद्य अर्पित किया जाता है, तो
आज के समय में जब छोटे-से-छोटे मंदिरों में भगवान को चांदी के पात्रों में नैवेद्य अर्पित किया जाता है, तो
मृत्यु सत्य है, इस सत्य को न मानना ही ‘असत्य’ है। अर्थी उठते समय बोला जाता है कि- ‘राम नाम
यह प्रसंग अथर्ववेद के श्रीकृष्णोपनिषत् से उल्लखित है । श्रीकृष्ण के परिकर के रूप में किस देवता ने क्या भूमिका
एक बार तुलसी दास जी वृन्दावन आये .वहॉ पर वह नित्य ही बिहारी जी के दर्शन को जाते थे.मंदिर में
.नंदग्राम के पावन सरोवर के तीर पर श्री सनातन गोस्वामीपाद की भजन-कुटी में श्री गौरदास बाबा जी भजन करते थे।.वे
भगवान श्री कृष्ण कि दो पत्नियाँ बताई गई है – एक तो श्री देवी और दूसरी भू देवी, जब भगवान
श्री कृष्ण कृपा करोजीवन बने महानमैं पतित पावन बनूँमेरा कोटि कोटि प्रणामप्रातः समय उठ नींद सेप्रथम धरूँ तेरा ध्यानफिर दिन
हमारे पास देखनेके लिये जो नेत्र हैं, वे जड़ संसारका अंग होनेसे संसारको ही देखते हैं, संसारसे अतीत चिन्मय भगवान्को
वृन्दावन का एक भक्त ठाकुर जी को बहुत प्रेम करता था, भाव विभोर हो कर नित्य प्रतिदिन उनका श्रृंगार करता
सुबह मेघनाथ से लक्ष्मण का अंतिम युद्ध होने वाला था। वह मेघनाथ जो अब तक अविजित था। जिसकी भुजाओं के