
श्रीकृष्ण की माया
सुदामा ने एक बार श्रीकृष्ण से पूछा, “कान्हा, मैं आपकी माया के दर्शन करना चाहता हूँ, कैसी होती है ?”
सुदामा ने एक बार श्रीकृष्ण से पूछा, “कान्हा, मैं आपकी माया के दर्शन करना चाहता हूँ, कैसी होती है ?”
वनवास के दौरान माता सीताजी को पानी की प्यास लगी, तभी श्री रामजी ने चारों ओर देखा तो
भगवान् देख मेरे पास तो एक ही दिल था वो मैंने तुम्हें दे दिया ।भगवान् मुझे भी दो तीन दिन
श्री अयोध्या जी में ‘कनक भवन’ एवं ‘हनुमानगढ़ी’ के बीच में एक आश्रम है जिसे ‘बड़ी जगह’ अथवा ‘दशरथ महल’
सीया-रघुवर जी की आरती, शुभ आरती कीजिये -२सीस मुकुट काने कुण्डल शोभे -२राम लखन सीय जानकी, शुभ आरती कीजियेसीया-रघुवर जी
हम प्रतिदिन मन्दिर जाते और कहते हम मन्दिर में भगवान के दर्शन करने जाते हैं। हम भगवान की आरती करते
राम भगवान हैं राम आत्माराम है भगवान राम जगत पिता है। राम हमारी आत्मा की पुकार है। राम को जप
बाहरी आंखें बन्द करलो अन्दर उजाला ही उजाला है दीपक अग्नि घी और बाती से जलाए जाते हैंअन्दर झांक कर
प्रभु हम पे कृपा करना,प्रभु हम पे दया करनाबैकुंठ तो यही है, हृदय में रहा करनाप्रभु हम पे कृपा करना,प्रभु
निर्गुण निराकार भगवान् भक्त की भक्ति से रिझ कर शरीर धारण करते हैं। भक्त भगवान् नाथ मे इतना डुब जाता