
सर्वस्व समर्पित
भक्त भगवान को अपना सर्वस्व समर्पित कर देता है। भगवान से मांगने की कोई इच्छा नहीं बस सम्पर्ण सम्पर्ण। भगवान
भक्त भगवान को अपना सर्वस्व समर्पित कर देता है। भगवान से मांगने की कोई इच्छा नहीं बस सम्पर्ण सम्पर्ण। भगवान
एक सखी उस सांवरे से कुछ समय बाद मिलन की बात कर रही है तब दुसरी सखी पहली सखी से
जा री सखी कह दे गिरधर से….तेरे इन्तज़ार में बैठी हूँ, आयेगा मोहन लेने मुझे……मैं तेरी जोगन हुए बैठी हूँ….
. एक बार एक व्यक्ति था। वह एक संत जी के पास गया। और कहता है कि संत जी, मेरा
ये रहस्य वृन्दावन वासी ही जानते है की जो सर्वाधार है जगदाधार है सकल लोक चूड़ामणि है उन कृष्ण का
आनंद के सागर रघुराई, हैं असीम कण-कण में व्यापक, जो जाना सो मुक्ति पाई। हो कितना अंधकार पुराना, पर प्रकाश
एक बार देवी सत्यभामा ने देवी रुक्मणि से पूछा कि दीदी! क्या आपको मालूम है, कि श्री कृष्ण जी बार
एक गाँव के बाहरी हिस्से में एक वृद्ध साधु बाबा छोटी से कुटिया बना कर रहते थे। वह ठाकुर जी
प्रिय तुम रामचरितमानस जरूर पढ़ना ।।……जीवन के अनुबंधों की,तिलांजलि संबंधों की,टूटे मन के तारो की,फिर से नई कड़ी गढ़ना,प्रिय तुम
मेघनाद से युद्ध करते हुए जब लक्ष्मण जी को शक्ति लग जाती है और श्री हनुमानजी उनके लिये संजीवनी का