
भगवान् से मानसिक
रमण 1
भगवान् की सारी क्रियाओं को देखकर उनके भक्त मुग्ध होते थे। यह देखकर, विचार कर हम भी मुग्ध होवें तो
भगवान् की सारी क्रियाओं को देखकर उनके भक्त मुग्ध होते थे। यह देखकर, विचार कर हम भी मुग्ध होवें तो
अस्पताल में एक पेशेंट का केस आया ।मरीज बेहद सीरियस था । अस्पताल के मालिक डॉक्टर ने तत्काल खुद जाकर
भगवान आनंदमय उनकी मधुर वाणी मैं सुन रहा हूँ, वे बोल रहे हैं भगवान् के साथ एकान्तवास है वे मुझे
भगवान कृष्ण अर्जुन को कर्मयोग में ज्ञानयोग भक्तीयोग को समझा रहे हैं। कर्म जब भगवान को भजते हुए समर्पित भाव
परम पिता परमात्मा का चित से चिन्तन करते हुए आनंद मे वही डुब सकता है। जिसके दिल में परम पिता
भगवान कृष्ण सब के साथ सौदेबाजी नहीं करते हैं। जो राम नाम भगवान को भजते हैं भगवान उस के साथ
भक्त भगवान को अपना सर्वस्व समर्पित कर देता है। भगवान से मांगने की कोई इच्छा नहीं बस सम्पर्ण सम्पर्ण। भगवान
एक सखी उस सांवरे से कुछ समय बाद मिलन की बात कर रही है तब दुसरी सखी पहली सखी से
जा री सखी कह दे गिरधर से….तेरे इन्तज़ार में बैठी हूँ, आयेगा मोहन लेने मुझे……मैं तेरी जोगन हुए बैठी हूँ….
. एक बार एक व्यक्ति था। वह एक संत जी के पास गया। और कहता है कि संत जी, मेरा