शिव अपराधस्तवः
शम्भो शङ्कर शान्त शाश्वत शिव स्थाणो भवोमापतेभूतेश त्रिपुरान्तक त्रिनयन श्रीकण्ठ कालान्तक।शर्वोग्राभय भर्ग भीम जगतां नाथाक्षय श्रीनिधेरुद्रेशान महेश्वरेश्वर महायोगीशतुभ्यं नमः।।१।। स्वामिन्
शम्भो शङ्कर शान्त शाश्वत शिव स्थाणो भवोमापतेभूतेश त्रिपुरान्तक त्रिनयन श्रीकण्ठ कालान्तक।शर्वोग्राभय भर्ग भीम जगतां नाथाक्षय श्रीनिधेरुद्रेशान महेश्वरेश्वर महायोगीशतुभ्यं नमः।।१।। स्वामिन्
जय महाकाल हर हर महादेव जय भोले नाथ नमः शिवाय|| राम ||विभत्स हूँ .. विभोर हूँ … मैं ज़िंदगी में
“शिवत्व” अर्थात लोक मंगल की वह उच्च मनोदशा जिसमें स्वयं अनेक कष्टों को सहकर भी दूसरों के कष्टों को मिटाने
श्रावण मास में भगवान शिव को नमन करते हुए उनकी छटा के दर्शन करें। शिवजी का वाहन नंदी है, वृषभ
संपूर्ण धरती पर शिव का ही धर्म प्रचलित है :-आदिदेव शिव और गुरु दत्तात्रेय को धर्म और योग का जनक
राधाजी और श्रीकृष्ण का प्रेम अलौकिक था। राधा कृष्ण के प्रेम को सांसारिक दृष्टि से देखेंगे तो समझ ही नहीं
१- ॐ भोलेनाथ नमः २-ॐ कैलाश पति नमः३-ॐ भूतनाथ नमः४-ॐ नंदराज नमः५-ॐ नन्दी की सवारी नमः६ ॐ ज्योतिलिंग नमः७-ॐ महाकाल
गंगा दौड़कर कलम कागज ले आई।‘अभी की अभी’- मीरा ने हँसकर कहा।‘हाँ हुकुम, शुभ काम में देरी क्यों?’‘ला दे, पागल
, जय महाकाल, हर महादेव, ॐ नमः शिवाय , जय भोले नाथ , ॐ नमः शिवाय, रूप हूं,, विशाल हूं,,रुद्र
उमड़ घुमड़ कर कारी बदरियाँ, बरस रही चहुँ ओर।अमुवाँ की डारी बोले कोयलिया, करे पपीहरा शोर॥चम्पा जूही बेला चमेली, गमक