भगवान (Bhagvan)

मीरा चरित भाग- 57

मेड़तणीजी के महल से रोने कूटने की ध्वनि नहीं सुनाई दी तो महारानी ने दासी के द्वारा समाचार यह सोचकर

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मीरा चरित
भाग- 56

आप स्वयं देखते हैं कि वे नियम से अखाड़े में उतरते हैं, शस्त्राभ्यास करते हैं, आखेट पर जाते हैं, न्यायासन

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मीरा चरित भाग- 55

हिंडोले पर सुंदर सुकोमल बिछौना बिछाया।तब तक उनकी स्वामिनी अपने हृदयधन का हाथ थामें आ गईं। दोनों के विराजित होने

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श्रीगणपति मङ्गलाष्टकम्

गजाननाय गांगेय सहजाय सर्दात्मने।गौरी प्रियतनूजाय गणेषयास्तु मंगलम।।१।। नागयज्ञोपवीताय नतविध्न विनाशिने।नन्द्यादिगणनाथाय नायाकायास्तु मंगलम।।२।। इभवक्त्राय चंद्रादिवन्दिताय चिदात्मने।ईशान प्रेमपात्राय चेष्टादायास्तु मंगलम।।३।। सुमुखाय सुशुन्डाग्रोक्षिप्तामृत

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हनुमत् स्तुति

सनातनधर्म में श्रीरामचरितमानस न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि इसके चरित्र और पात्र आदर्श व्यावहारिक जीवन के सूत्रों और संदेशों

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