हनुमत् स्तुति
सनातनधर्म में श्रीरामचरितमानस न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि इसके चरित्र और पात्र आदर्श व्यावहारिक जीवन के सूत्रों और संदेशों
सनातनधर्म में श्रीरामचरितमानस न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि इसके चरित्र और पात्र आदर्श व्यावहारिक जीवन के सूत्रों और संदेशों
।। श्रीहनुमते नमः ।। आधुनिक समय के सबसे जागृत, सिद्ध, चमत्कार घटित करने वाले एवं अपने भक्तों के दुःखों को
मेरे प्रिय आत्मन्! मनुष्य के जीवन में या जगत के अस्तित्व में एक बहुत रहस्यपूर्ण बात है। जीवन को तोड़ने
।। ।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।। लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च।सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम्।।
अर्जुन ने अपने-आपको श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया था| अर्जुन होता हुआ भी, नहीं था, इसलिए कि उसने जो कुछ
स्वतंत्रता-पूर्व की बात है। वाराणसी के एक साधक थे, सुदर्शन जी। माता दुर्गा के परम भक्त। ब्रह्ममुहूर्त का समय था।
‘आप कभी याद करने की कृपा नहीं करतीं हैं भाभीसा।बहुत इच्छा रहती है आपके दर्शनों की, किंतु जिससे पूछो वही
अब तो कभी कभार ही वहाँ महलों में पधारते हैं।बाई हुकुम कुछ खाने को दें भी तो फरमाते हैं कि
ऊधौ कहा करैं लै पातीजौ लौं मदनगुपाल न देखें, बिरह जरावत छाती ॥ निमिष-निमिष मोहिँ बिसरत नाहीं, सरद सुहाई राती
बिना श्रद्धा और विश्वास के कुछ हाथ नहीं लगता, क्योंकि कार्य अपने कारण को नहीं जान सकता।बेटा कैसे जान सकता