“प्रेम”मे राधा कृष्ण एक रूप
प्रेम ही समर्पण है। जिसने प्रेम किया हो और उसे समर्पण न आया हो,उसका जीवन ही व्यर्थ है।वो प्रेम ही
प्रेम ही समर्पण है। जिसने प्रेम किया हो और उसे समर्पण न आया हो,उसका जीवन ही व्यर्थ है।वो प्रेम ही
मीरा के प्रभु गिरधर नागर।आय दरस धो सुख के सागर। आँखोंसे आँसुओंकी झड़ी लग गयी। सखियाँ उसे धीरज देनेके लिये
एक गाँव में एक साधू महाराज रहते थे । साधू महाराज जहाँ भी जाते, नाम जप पर उपदेश देते थे
बेला में उठ कर करें, करें हर्ष के काम |प्रातः उठकर के सभी, बोले जय श्री राम || सूर्य देव
ब्रजरानी यशोदा भोजन कराते-कराते थोड़ी सी छुंकि हुई मिर्च लेकर आ गई क्योंकि नन्द बाबा को बड़ी प्रिय थी। लाकर
न मत्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहोन चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः।न जाने मुद्रास्ते तदपि च
🙏 तीनो लोको के स्वामी सुधबुद्ध खोकर दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या,
🌹आज का भगवद् चिंतन🌹 🙏जय श्री राम🙏 हनुमान जी का जीवन हमें शिक्षा देता है कि सेवा ही वो मार्ग
ध्यानम्।गलद्रक्तमुण्डावलीकण्ठमालामहोघोररावा सुदंष्ट्रा कराला।विवस्त्रा श्मशानालया मुक्तकेशीमहाकालकामाकुला कालिकेयम्।।१।। भुजेवामयुग्मे शिरोऽसिं दधानावरं दक्षयुग्मेऽभयं वै तथैव।सुमध्याऽपि तुङ्गस्तना भारनम्रालसद्रक्तसृक्कद्वया सुस्मितास्या।।२।। शवद्वन्द्वकर्णावतंसा सुकेशीलसत्प्रेतपाणिं प्रयुक्तैककाञ्ची।शवाकारमञ्चाधिरूढा शिवाभिश्-चतुर्दिक्षुशब्दायमानाऽभिरेजे।।३।। अथ
नंगे पैर सुदबुध खोए तीनो लोको के स्वामी दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा,