भगवान (Bhagvan)

मीरा चरित भाग- 24

मीरा के प्रभु गिरधर नागर।आय दरस धो सुख के सागर। आँखोंसे आँसुओंकी झड़ी लग गयी। सखियाँ उसे धीरज देनेके लिये

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[ सूर्य वंदन ]

बेला में उठ कर करें, करें हर्ष के काम |प्रातः उठकर के सभी, बोले जय श्री राम || सूर्य देव

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जय माँ जगद्जननी

न मत्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहोन चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः।न जाने मुद्रास्ते तदपि च

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स्थायी प्रेम

🙏 तीनो लोको के स्वामी सुधबुद्ध खोकर दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या,

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श्रीकालिकाष्टकम्

ध्यानम्।गलद्रक्तमुण्डावलीकण्ठमालामहोघोररावा सुदंष्ट्रा कराला।विवस्त्रा श्मशानालया मुक्तकेशीमहाकालकामाकुला कालिकेयम्।।१।। भुजेवामयुग्मे शिरोऽसिं दधानावरं दक्षयुग्मेऽभयं वै तथैव।सुमध्याऽपि तुङ्गस्तना भारनम्रालसद्रक्तसृक्कद्वया सुस्मितास्या।।२।। शवद्वन्द्वकर्णावतंसा सुकेशीलसत्प्रेतपाणिं प्रयुक्तैककाञ्ची।शवाकारमञ्चाधिरूढा शिवाभिश्-चतुर्दिक्षुशब्दायमानाऽभिरेजे।।३।। अथ

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पर प्रेम स्थायी रहेगा

नंगे पैर सुदबुध खोए तीनो लोको के स्वामी दौड़े चले जा रहे थे, पीछे पीछे रुक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा,

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