भगवान (Bhagvan)

।। देव परिचय ।।

मनुष्यों के पृथ्वीतत्त्व प्रधान शरीरों की अपेक्षा देवताओं के शरीर तेजस्तत्त्व प्रधान, दिव्य और शुद्ध होते हैं। देवताओं के शरीरों

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श्रीचैतन्य महाप्रभु जी का स्पर्श पाते ही पद्मा नदी में ऊँची-ऊँची लहरें उठने लगीं।

बात उन दिनों की है जब यशोदा-नन्दन भगवान श्रीकृष्ण, श्रीचैतन्य महाप्रभुजी के रूप में पृथ्वी पर आये हुये थे। उनके

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मीरा चरित भाग- 20

मीरा हँस पड़ी- ‘ऐसा न करना हो। भगवान् धरती पर पधारते हैं तो उन्हें देखकर, छूकर, सुनकर, कैसे भी उनसे

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ऋषि सरभंग

नगर से सैकड़ों कोस दूर सुदूर वन में तपस्या कर रहे उस वृद्ध ऋषि ने दूर उस निश्चित स्थान की

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गुरु की महिमा

स्वामी विवेकानंद एक बार एक रेलवे स्टेशन पर बैठे थे उनका अयाचक (ऐसा व्रत जिसमें किसी से मांग कर भोजन

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मीरा चरित भाग- 19

रह-रहकर उसके नेत्र अर्धनिमीलित हो जाते हैं। पुकारने पर वह उनकी ओर देखती तो है, किन्तु जैसे उस दृष्टिमें जीवन

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