[7]हनुमान जी की आत्मकथा
आज के विचार (मुझे श्रीराम से प्रेम हो गया – हनुमान) पुलकित तन मुख आव न वचना…( रामचरितमानस ) मुझे
आज के विचार (मुझे श्रीराम से प्रेम हो गया – हनुमान) पुलकित तन मुख आव न वचना…( रामचरितमानस ) मुझे
(गौरांगी के साथ “हनुमत्साधना” सम्बन्धी कुछ चर्चा…) महावीर विक्रम बजरंगी…(हनुमान चालीसा) हरि जी ! क्या लड़कियों कोउपासना करनी चाहिए ?
( जब मेरे आराध्य मेरे पास आये – हनुमान )भाग-10 पुनि प्रभु मोहि बिसारेहुँ, दीन बन्धु भगवान…(रामचरितमानस) ओह ! देखो
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीमती विष्णुप्रिया देवी गौरशक्तिं महामायां नवद्वीपनिवासिनीम्।विष्णुप्रियां सतीं साध्वीं तां देवीं प्रणतोऽस्म्यहम्। यह विश्व
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराममहाप्रभु का अदर्शन अथवा लीलासंवरण अद्यैव हसिंतं गीतं पठितं यै: शरीरिभि:।अद्यैव ते न
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसमुद्रपतन और मृत्युदशा शरज्ज्योत्स्नासिन्धोरवकलनया जातयमुनाभ्रमाद्धावन् योऽस्मिन् हरिविरहतापार्णव इव।निमग्नो मूर्च्छात: पयसि निवसन् रात्रिमखिलांप्रभाते प्राप्त:
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री अद्वैताचार्य जी की पहेली एतावानेव लोकेऽस्मिन् पुंसां धर्म: पर: स्मृत:।भक्तियोगो भगवति तन्नामग्रहणादिभि:।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामशारदीय निशीथ में दिव्य गन्ध का अनुसरण कुरंगमदजिद्वपु:परिमलोर्मिकृष्टांगन:स्वकांगनलिनाष्टके शशियुताब्जगन्धप्रथ:।मदेन्दुवरचन्दनागुरुसुगन्धिचर्चार्चित:स मे मदनमोहन: सखि तनोति
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामलोकातीत दिव्योन्माद स्वकीयस्य प्राणार्बुदसदृशगोष्ठस्य विरहात्प्रलापानुन्मादात् सततमतिकुर्वन विकलधी:।दधद्भित्तौ शश्वद्वदनविधुघर्षेण रुधिरंक्षतोत्थं गौरांगो हृदय उदयन्मां मदयति।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामउन्मादावस्था की अदभुत आकृति अनुद्घाट्य द्वारत्रयमुरु च भित्तित्रयमहोविलंघ्योच्चै: कालिंगिकसुरभिमध्ये निपतित:।तनूद्यत्संकोचात् कमठ इव कृष्णोरुविरहा-द्विराजन्