[150]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामछोटे हरिदास को स्त्री-दर्शन का दण्ड निष्किंचनस्य भगवद्भजनोन्मुखस्यपारं परं जिगमिषोर्भवसागरस्य।संदर्शनं विषयिणामथ योषितांचहा हन्त
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामछोटे हरिदास को स्त्री-दर्शन का दण्ड निष्किंचनस्य भगवद्भजनोन्मुखस्यपारं परं जिगमिषोर्भवसागरस्य।संदर्शनं विषयिणामथ योषितांचहा हन्त
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामरघुनाथदास जी का उत्कट वैराग्य य: प्रव्रज्य गृहात् पूर्वं त्रिवर्णवपनात् पुन:।यदि सेवेत तान्
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री रघुनाथदास जी का गृह त्याग गुरुर्न स स्यात् स्वजनो न स स्यात्पिता
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामनीलाचल में सनातन जी वृन्दावनात् पुन: प्राप्तं श्रीगौर: श्रीसनातनम्।देहपातादवन् स्नेहाच्छुद्धं चक्रे परीक्षया।। श्री
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामप्रभु का पुरी में भक्तों से पुनर्मिलन अद्यास्मांक सफलमभवज्जन्म नेत्रे कृतार्थेसर्वस्ताप: सपदि वरितो
शिव महामन्त्र ॐ नम: शिवाय,ॐ नम: शिवाय, हरहर बोले नम: शिवाय।रामेश्वराय शिव रामेश्वराय,हरहर बोले नम: शिवाय।गंगाधराय शिव गंगाधराय,हरहर बोले नम: शिवाय।जटाधराय शिव जटाधराय,हरहर बोले नम: शिवाय।सोमेश्वराय शिव
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री सनातन वृन्दावन को और प्रभु पुरी को कालेन वृन्दावनकेलिवार्तालुप्तेति तां ख्यापयितुं विशिष्य।कृपामृतेनाभिषिषेच
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री प्रकाशानन्द जी का आत्मसमर्पण भ्रातस्तिष्ठ तले तले विटपिनां ग्रामेषु भिक्षामटस्वच्छन्दं पिब यामुनं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामस्वामी प्रकाशानन्द जी मन से भक्त बने अद्वैतवीथीपथिकैरुपास्या:स्वानन्दसिंहासनलब्धदीक्षा:।हठेन केनापि वयं शठेनदासीकृता गोपवधूविटेन।। श्री
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री सनातन को शास्त्रीय शिक्षा अथ स्वस्थाय देवाय नित्याय हतपाप्मने।त्यक्तक्रमविभागाय चैतन्यज्योतिषे नमः।। महाप्रभु