भगवान (Bhagvan)

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[138]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराममहाप्रभु वल्लभाचार्य और महाप्रभु गौरांगदेव श्रीगौरवल्लभभगवत्परायणौमहाप्रभु भक्तिप्रियौ सुनायकौ।भक्तिपरौ कृष्णकथातिगायकौभक्तिविहीनस्य प्रसीदतां मे।। महाप्रभु गौरांगदेव

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[137]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराममहाप्रभु वल्लभाचार्य श्रीमदाचार्यचरणं पुष्टिमार्गप्रचारकम्।वल्लभं गोपवंशाख्य भूयो भूयो नमाम्यहम्।। हम पहले ही बता चुके

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[136]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री रूप को प्रयाग में महाप्रभु के दर्शन देशे देशे दुराशाकवलितहृदयो निष्कृपाणां नराणांधावं

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[135]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपठानों को प्रेम-दान और प्रयाग में प्रत्यागमन अब प्रभु की और उस राजकुमार

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[134]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री वृन्दावन आदि तीर्थों के दर्शन क्वचिद्भृंगीगीतं क्वचिदनिलभंगीशिशिरताक्वचिद् वल्लीलास्यं क्वचिदमलमल्लीपरिमलः।क्वचिद् धाराशाली करकफलपालीरसभरोहृषीकाणां वृन्दं

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[133]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामपुरी में प्रत्यागमन और वृन्दावन की पुनः यात्रा गच्छन वृन्दावनं गौरो व्याघ्रेभैणखगान् वने।प्रेमोन्मत्तान्

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[132]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामरघुनाथदास जी को प्रभु के दर्शन कान्ताकटाक्षविशिखा न लुनन्ति यस्यचित्तं न निर्दहति कोपकृशानुतापः।कर्षन्ति

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[131]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्री रूप और सनातन महाधीरौ भक्तिवीरौ प्रेमपीयूषभाजनौ।भक्तिभावेन तौ वन्दे श्रीमद्रूपसनातनौ।। जिस मनुष्य के

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[128]”श्रीचैतन्य–चरितावली

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजननी के दर्शन जननी जन्मभूमिश्च जाह्नवी च जनार्दन:।जनकः पंचमश्चैव जकाराः पंच दुर्लभाः।। नीलाचल

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[127]”श्रीचैतन्य–चरितावली”

।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामप्रभु के वृन्दावन जाने से भक्तों को विरह सज्जनसंगो मा भूद् यदि संगो

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