[70]”श्रीचैतन्य–चरितावली”
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामभगवत्-भजन में बाधक भाव भगवन्नाम सभी प्रकार के सुखों को देने वाला है।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामभगवत्-भजन में बाधक भाव भगवन्नाम सभी प्रकार के सुखों को देने वाला है।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामश्रीकृष्ण–लीलाभिनय कवचिद रूदति वैकुण्ठचिंतासबलचेतन:।क्वचिद्धसति तच्चिन्ताह्लाद उद्गायति क्वचित्।।नदति क्वचिदुत्कण्ठो विलज्जो नृत्यति क्वचित्।क्वचित्तद्भावनायुक्तस्तन्मयोऽनुचकार ह।। यदि
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजगाई-मधाई का पश्चात्ताप न चाराधि राधाधवो माधवो वान वापूजि पुष्पादिभिश्चन्द्रचूड:।परेषां धने धन्धने नीतकालोदयालो
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामसज्जन-भाव तृष्णां छिन्धि भज क्षमां जहि पापे रतिं मा कृथा:सत्यं ब्रूह्यनुयाहि साधुपदवीं सेवस्य
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेराम भक्तों के साथ प्रेम-रसास्वादन सर्वथैव दुरूहोअयमभक्तैर्भगवद्रस: । तत्पादाम्बुजसर्वस्वैर्भक्तैरेवानुरस्यते ।। प्रेम की उपमा
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजगाई और मधाई की प्रपन्नता सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते।अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजगाई-मधाई का उद्धार साधूनां दर्शनं पुण्यं तीर्थभूता हि साधव:।कालेन फलते तीर्थं सद्य: साधुसमागम:।।
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामघर-घर में हरिनाम का प्रचार हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नाम केवलम् ।कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामप्रेमोन्मत्त अवधूत का पादोदकपान वाग्भि: स्तुवंतो मनसा स्मरंत-स्तन्वा नमन्तोअप्यनिशं न तृप्ता:।भक्ता: स्त्रवन्नेत्रजला: समग्र-मायुर्हरेरेव
।। श्रीहरि:।। [भज] निताई-गौर राधेश्याम [जप] हरेकृष्ण हरेरामजगाई-मधाई की क्रूरता नित्यानन्द की उनके उद्धार के निमित्त प्रार्थना किं दु:सहं नु